जयपुर: राजस्थान के जयपुर में तीखी करारी सब्जियों के साथ शुद्ध घी की मिठाइयां ना हो तो खाना अधूरा सा लगता है. यहां का खाने का स्वाद कुछ ऐसा है की यह पहली बार में ही हर किसी को अपना दीवाना बना देता है. वैसे तो जयपुर की आबोहवा के साथ यहां का सारा खाना जगत भर में प्रसिद्ध है. लेकिन एक ऐसा खास जादू है जो पिछले 140 सालों से चल रहा है और लोग उसके दीवाने हैं.
दरअसल हम बात करने जा रहे हैं जयपुर के हवा महल के पास बनी एक छोटी सी दुकान ‘महावीर रबड़ी भंडार’ की, जिनकी रबड़ी के लोग दुनियाभर में मुरीद है. इस रबड़ी भंडार की शुरूआत हवा महल के पास मिश्रा राजा जी की गली में बेहद छोटे तौर पर हुई थी लेकिन आज इस दुकान को इनके खानदान की चौथी पीढ़ी संभाल रही है. समय के साथ महावीर रबरी भंडार बेहद मशहूर हुआ और आज इनके ब्रांड के नाम पर शहर की हर गली में आपको दुकानें मिल जाएंगी.
सबसे खास बात यह है कि इस रबड़ी भंडार को इनके परिवार के तीसरी और चौथी पीढ़ी की बेटियां मिलकर चला रही है. इन बेटियों ने The better India से बात करते हुए कहा कि उनके दादाजी कपूर चंद्र जैन ने अपने खाने बनाने की शौक के कारण इस काम की शुरुआत की थी. इससे पहले वह एक अखाड़ा चलाया करते थे और पहलवानी भी करते थे.
लेकिन उन्हें खाने और खिलाने का बेहद शौक था इसी वजह से उन्होंने दही और रबड़ी बेचने का काम शुरू कर दिया. कपूर चंद जैन की रबड़ी का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि आगे चलकर उसने पहलवानी छोड़कर इसी काम को आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया. धीमे धीमे उन्होंने गुलाब जामुन और दूसरी मिठाईयां बेचना भी शुरू की और बाद में यह इनका खानदानी बिजनेस बन गया.
कपूरचंद के तीन बेटे इस काम से जुड़े और सब ने महावीर रबरी भंडार के नाम से ही अपना काम शुरू किया. लेकिन जिस दुकान की शुरुआत कपूर चंद जी ने स्वयं की थी उसे आज उनकी पोती सीमा और उनके पति अनिल बड़जात्यां और बेटी अमृत जैन मिलकर संभाल रहे हैं.
इस विषय में अमृता बताती है कि ‘मेरे पिता भी खाना बनाने का शौक रखते हैं और वह काफी अच्छी सब्जियां बनाते हैं. इसलिए जब मेरे माता-पिता इस बिजनेस से जुड़े तो उन्होंने आलू प्याज की सब्जी, बेजड़ की रोटी, मिर्ची के तकोरे और लहसुन की चटनी के साथ पारंपरिक रबड़ी आदि मिलकर एक थाली तैयार कर दी.”
आपको बता दें कि यहां आपको ₹80 से लगाकर ₹200 तक की थाली मिलती है. यानी यहां हर वर्ग का आदमी आराम से खाना खा सकता है. अनुमान के अनुसार यहां तकरीबन 200 किलो सब्जी तैयार होती है और इस दुकान को पहले जैसी ही छोटी जगह पर रखा गया है. जिसे कपूर चंद जी ने स्वयं शुरू किया था. यहां पर वर्तमान में तकरीबन 10 लोग आराम से बैठकर खाना खा सकते हैं.