अपने सपनों की मंजिल प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और यह संघर्ष निरंतर करना होता है. कई बार ऐसा समय आता है जब हम मेहनत करते करते थक जाते हैं और हमें मंजिल दूर दिखाई पड़ती है. इसमें कई लोग हिम्मत हार जाते हैं लेकिन जो लोग हिम्मत नहीं हारते आखिरकार वही इतिहास रच जाते हैं.
इसीलिए कहा जाता है सपने समय लेते हैं, समय परीक्षा लेता है और इस परीक्षा को पार कर जाने वाला ही खिलाड़ी होता है, विजेता होता है. इन्हीं शब्दों को चरितार्थ करने वाली अनुज छगांड़ी ने हाल ही में फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने संघर्ष के कहानी को बयां किया है.
दरअसल हाल ही में अनु ने अंग्रेजी विषय में आरपीएसई द्वारा आयोजित कराई गई असिस्टेंट कॉलेज लेक्चरर भर्ती में फाइनल सिलेक्शन पाया है. जिसके दौरान उन्होंने आपणी हताई टीम से बात करते हुए कहा कि उन्होंने बीकानेर की एम एस कॉलेज से साल 2016 में एमए की डिग्री हासिल की थी. जिसके बाद उन्होंने 2 सालों तक मेहनत की और 2019 में उन्होंने नेट परीक्षा को भी पास किया.
जिसके बाद उन्होंने साल 2020 की भर्ती में कॉलेज लेक्चरर बनने के लिए खूब परिश्रम किया. जिसके अब जाकर उन्होंने 2022 में अपना फाइनल सिलेक्शन पाया है. यह सफर इतना आसान नहीं रहा है क्योंकि इस दरमियान अनु को अच्छा खासा संघर्ष करना पड़ा. परीक्षा आयोजित होने से लेकर लंबे समय तक उन्हें धैर्य बनाए रखना पड़ा.
जिसके बाद परीक्षा का फाइनल रिजल्ट आते आते भी काफी लंबा समय लग गया. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और वह लगातार शिक्षा के क्षेत्र में बरकरार रही. इस दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ा और कई आर्थिक समस्याओं को भी झेलना पड़ा. इसके बावजूद भी उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा और अपनी पीएचडी की पढ़ाई शुरू कर दी.
अपनी इस सफलता का श्रेय अनु ने अपने माता-पिता और डूंगर कॉलेज के लेक्चरर सुनील दत्त व्यास को दिया है. अनु को प्रोफेसर व्यास 2011 से ही गाइड कर रहे थे और अनु भी उन्हें अपने गुरु की तरह ससम्मान मार्गदर्शन ले रही थी. वर्तमान में अनु छंगाणी उदयपुर के एमएलएसयू से अपनी पीएचडी पूरी कर रही है और आने वाले समय में बहुत शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने की चाह रखती है.