राजस्थान : राजस्थान राज्य में बिजली के भयंकर क्राइसिस के हालात बने हुए हैं और यहां अलग-अलग बिजली घरों में तकरीबन 10 पावर हाउस पूरी तरह से ठप हो गई है. क्योंकि यहां 4442.50 मेगा वाट प्रोडक्शन बंद हो चुका है. वर्तमान समय में ₹12 प्रति यूनिट कैंपिंग दर पर राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड महंगी दरों के बावजूद भी अपने ग्राहकों को बिजली की सप्लाई नहीं दे पा रहा है.
जिसके चलते प्रदेश के कई इलाकों में भारी बिजली कटौती की समस्या देखने को मिल रही है और आम जनता काफी परेशान हो रही है. यहां 500 मेगावाट बिजली शॉर्ट टर्म टेंडर से खरीदने के लिए सितंबर 2022 की टेंडरिंग भी फेल हो चुकी है. और हालत ज्यादा इसलिए गंभीर है क्योंकि बिजली की डिमांड peak hours में 14,100 मेगा वॉट हो गई है लेकिन वर्तमान समय में उपलब्धता केवल 11,595 मेगावाट की ही है.
ऐसे में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि डिमांड और सप्लाई में तकरीबन 2505 मेगावाट का अंतर है और बिजली विभाग इस अंतर को समाप्त नहीं कर पा रहा है. पावर एक्सचेंज बिजली खरीदने और ग्रामीण और शहरी इलाकों में अघोषित बिजली कटौती के कारण अब बिजली की काफी किल्लत बनी हुई है और राजस्थान में कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट की कैपेसिटी 7580 मेगावाट है. जबकि यहां पर 4010 मेगावाट कैपेसिटी की थर्मल यूनिट पूरी तरह से ठप है.
क्या है निगम का कहना ?
इस विषय में राजस्थान विद्युत विभाग निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर मुकेश बंसल ने कहा है कि पावर प्लांट यूनिट बंद होने से बिजली का शॉर्ट फॉल आया है और पावर शॉर्टेज की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हमें ₹12 प्रति यूनिट की कैंपिंग दर पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है और हमें 2500 मेगावाट बिजली खरीदने की अतिरिक्त आवश्यकता है.
हालांकि निगम बिजली कमी की इस स्थिति से निपटने के लिए कार्यरत है और माना जा सकता है कि कुछ ही समय में सप्लाई और डिमांड की अंतर समाप्त होगा और प्रदेश में बिजली कटौती की समस्या से राहत मिल सकेगी.