success story krishna yadav

प्रेरणा : महिला पति से परेशान होकर आई थी दिल्ली, आज करती है सालाना 5 करोड़ का बिजनेस

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी महिला शख्सियत के बारे में जिसने अबला नारी के समाज से खुद को बाहर निकालकर एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो विशेष तौर पर उन उम्रदराज महिलाओं को प्रेरित करता है जो कम पढ़ी लिखी है या अशिक्षित है. जिस महिला के बारे में हम चर्चा करने जा रहे हैं वह कभी स्कूल भी नहीं जा पाई.

इसके अलावा उन्होंने परिवार में भी भारी आर्थिक तंगी का सामना किया और एक समय ऐसा भी था जब इनके पास ₹500 भी नहीं हुआ करते थे. लेकिन आज उन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते खुद का तकरीबन पांच करोड़ का बिजनेस बनाया है. साथ ही वह कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता भी कर रही है. दरअसल हम बात करने जा रहे हैं कृष्णा यादव की, जो अपने परिवार में पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी. कृष्णा यादव के पति मजदूरी का काम किया करते थे.

अपना बिजनेस शुरू करने से पहले तो वह कभी घर से बाहर भी नहीं गई थी. बुलंदशहर की रहने वाली कृष्णा यादव को यह महसूस हुआ कि आर्थिक समस्या से बाहर निकलने के लिए उन्हें अपना गांव छोड़कर कहीं कमाई करने जाना पड़ेगा. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग उन्हें हमेशा कुछ न कुछ कहते रहते. जिसके बाद कृष्णा यादव दिल्ली आ गई उन्होंने यहां एक व्यक्ति का खेत बोया जहां उन्होंने सब्जियां उगाई. लेकिन एक ही सीजन में खेती करने के बाद उन्हें यह समझ में आ गया कि इस काम में ज्यादा मुनाफा नहीं है.

प्लान किया आचार बनाने का आईडिया :– कृष्णा यादव की दादी बहुत स्वादिष्ट सब्जियों का अचार बनाया करती थी. यहीं से उनके दिमाग में आचार बनाने का आइडिया आया था ताकि उन्हें अपनी मेहनत का अच्छा लाभ प्राप्त हो सके. कृष्णा के पति ने भी इस काम में अपनी रजामंदी दी. जिसके चलते शुरुआती दौर में उन्होंने 5 किलो सब्जियों का अचार बनाया. इस आचार को सब ने पसंद किया. लेकिन यह बाजार में नहीं बिक सका. जिसके चलते पहली बार में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा.

सड़क किनारे बेचा आचार :– कृष्णा यादव ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने बाद में एक सड़क किनारे अपनी सब्जियों का ठेला लगा दिया. इसके साथ ही उन्होंने आचार बेचना भी शुरू कर दिया. उनका कहना है कि उस दौर में सब्जियों के साथ ही साथ कोई कोई उनका अचार भी खरीद लेता था.

आज है 5 करोड़ का टर्नओवर :– समय के साथ कृष्णा यादव का यह व्यापार बढ़ा और उन्होंने अचार के साथ ही साथ और भी कई चीजें शामिल कर दी. जिसके चलते आज उनकी कंपनी का टर्नओवर तकरीबन सालाना 5 करोड रुपए पहुंच चुका है. इसके साथ ही साथ आज कई महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करवा रही है.

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