डेयरी सेक्टर: अब आने वाले कुछ ही समय में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भारी मात्रा में लोग डेयरी और उससे संबंधित विभिन्न व्यापार पर आधारित हैं. इनमें से अधिकतर लोग डेयरी के साथ कृषि उत्पादों पर भी निर्भर है. इसीलिए सरकार भी अब 2024 से पहले विभिन्न ग्रामीण स्तर पर दो लाख नयी दुग्ध सहकारी समितियों(डेयरी) के गठन करने का मन बना रही है.
इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए डेयरी क्षेत्र के विभिन्न जानकारों का यह मत है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊपर करने हेतू तथा बंपर रोजगार देने हेतु यह एक विशेष अवसर होगा. यहां नए उद्यमी अपना डेयरी क्षेत्र में करियर बना पाएंगे. साथ ही देश भर के विभिन्न पशु पालन किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
इस विषय में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने ऐलान किया है कि भारत आने वाले कुछ ही सालों में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगा. जिनमें से सहकारिता क्षेत्र को भी अपनी अहम भूमिका निभानी है. इस हेतु ग्रेटर नोएडा में आयोजित हाल ही में विश्व डेयरी सम्मेलन को संबोधित करते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा है कि साल 2024 में होने वाले अगले लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ग्रामीण स्तर पर दो लाख नई दुग्ध सहकारी समितियों के गठन करने का विचार बना रही है.
गरीब देशों में डेयरी उत्पाद पहुंचाना भी एक लक्ष्य
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने डेयरी क्षेत्र से पेशेवर अंदाज, नवीनतम प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर करण और डिजिटल भुगतान की व्यवस्था को भी अपनाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इन व्यवस्था से दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलेगी. जिससे ना केवल घरेलू आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा बल्कि गरीब देशों की आपूर्ति भी बहाल हो सकेगी.
डेयरी उत्पादों के बिक्री की कोई चिंता नहीं!
गौरतलब है कि डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार हमेशा सहायता उपलब्ध कराती है. राज्य सरकारें अपने पशुपालकों को मदद देनी हेतू सब्सिडी की सुविधा देती है. वर्तमान समय में काफी पढ़े लिखे युवा के इस काम को व्यवसायिक तरीके से अपना कर अच्छा पैसा बना रहे हैं. यह बिजनेस सबसे खास इसलिए है क्योंकि दूध की डिमांड हर रोज होती है इसलिए इसकी बिक्री की ज्यादा चिंता नहीं होती.
ऐसे में साफ पता चलता है कि सरकार का यह नया ऐलान चुनाव के समय लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करना भी है. देखा गया है कि पिछले कुछ समय से सरकारी नौकरीयां बुरी तरह से चौपट हो चुकी है और लाखों रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार उन रोजगारों को भी खा गई जो पहले से अस्तित्व में थे.