जयपुर के हवामहल की ये 8 बातें जानकर रह जाएंगे हैरान; हवामहल घूमने से पहले जरूर ध्यान रखें इन बातों का

जयपुर : यूं तो राजस्थान की राजधानी जयपुर में कई किले और ऐतिहासिक स्थल है. लेकिन यहां के हवामहल की एक अलग पहचान है. या यूं भी कह सकते हैं कि जयपुर की पहचान और शान स्वयं हवामहल है. दिखने में बेहद खूबसूरत हवामहल अपनी संरचना के लिए भी विशेष तौर से जाना जाता है.

इसके साथ ही हवा महल से जुड़ी कई ऐसी कहानियां और किस्से हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे. ऐसे में अगर आप हवा महल घूम चुके हैं तो यह जानकारी आपके नॉलेज को बढ़ाने में सहायक होगी. वहीं अगर आप अभी तक यहां नहीं गए हैं और हवा महल घूमने का विचार बना रहे हैं तो इन बातों पर जरूर गौर करें.

क्या आप जानते हैं हवामहल की ये 8 बातें?

1–जयपुर के हवामहल का निर्माण सर के ताज के आकार में किया गया है. इसकी पीछे कहानी है कि हवा महल को हमेशा भगवान श्री कृष्ण से जोड़कर देखा जाता है. बताया जाता है इसका निर्माण कराने वाले सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के प्रति बहुत ही श्रद्धा रखते थे. इसी वजह से उन्होंने कृष्ण के सम्मान में उसका निर्माण करवाया.

2– खिड़कियों की इमारत हवामहल में कितनी खिड़कियां है? शायद आप नहीं जानते होंगे लेकिन इस महल में तकरीबन 953 खिड़कियां है. इतनी सारी खिड़कियां बनाने का आशय यही था कि महल में हमेशा साफ-सुथरी हवा आती रहें और कभी गर्मी का अनुभव ना हो.

3– इन खिड़कियों के पीछे एक दूसरा कारण यह भी है कि महल को विशेष तौर पर राजपूत परिवार की महिलाओं के लिए बनवाया गया था. बताया जाता है कि इतनी सारी खिड़कियां बनाने का आशय यही था कि महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के शहर के समस्त नजारों का आनंद ले सके.

4– इस महल का नाम हवामहल ही क्यों रखा गया? बता दें कि इतिहास में ऐसा उल्लेख किया गया है कि हवा महल नाम यहां की पांचवीं मंजिल के नाम पर रखा गया है. क्योंकि पांचवी मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस महल का नाम भी इसी अनुसार रख दिया गया.

5– अब तक आप जान चुके हैं कि हवा महल में पांच मंजिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस इमारत में ऐसी कोई भी सीढ़ी नहीं है जिसके सहारे इसकी छत पर जाया जा सके! हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा! यहां कोई भी सीढ़ी नहीं है. बल्कि महल की सभी मंजिल पर जाने हेतु आपको ढलान किए हुए रास्ते के सहारे जाना होता है.

6– इस इमारत को अन्य कई नामों से जाना जाता है जिनके बारे में आपको जानकारी नहीं होगी. आपको बता दें कि इस महल को ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ भी कहा जाता है. हालांकि यह नाम हवा महल का अंग्रेजी रूपांतरण ही है.

7– इसका एक अनोखा रोचक तथ्य यह भी है कि यह महल देश के उन इमारतों में से एक है जिन्हें हिंदू राजा ने मुगल और राजपूताना वास्तुकला शैली के इस्तेमाल से बनवाया है. इसलिए यह कला का एक अनूठा कंबीनेशन भी है.

8– सबसे आखरी और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सवाई प्रताप सिंह द्वारा इसका निर्माण 1799 में किया गया था. जिसकी मरम्मत साल 2005 में की गई थी जो जाकर 2006 में पूरी हुई थी. इस मरम्मत नवीनीकरण कार्य में 45,679 लाख रुपए का खर्चा हुआ था. यह धनराशि इतनी अधिक है कि इतनी धनराशि से एक अन्य हवामहल भी बनाया जा सकता था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *