राजस्थान, जैसलमेर तोपखाना रेजिमेंट :— हाल ही में जोगिंदर सिंह ट्रॉफी के विजेता का ऐलान किया गया है. और इस वर्ष जैसलमेर के बीएसएफ की 1022 तोपखाना रेजिमेंट ने यह खिताब अपने नाम किया है. बता दें कि जोगिंदर सिंह ट्रॉफी इंडिया लेवल पर विभिन्न रेजीमेंट को मिलने वाला सबसे बड़ा इनाम है. और इसमें हर साल हर लेवल पर विभिन्न रेजीमेंट को परखा जाता है. जिसके बाद उन्हें पॉइंट दिए जाते हैं और विभिन्न पॉइंट के आधार पर ही विजेता की घोषणा की जाती है.
जिसमें कि इस साल जैसलमेर की तोपखाना रेजिमेंट ने विजय हासिल की है जबकि पिछले साल गुजरात की 1055 रेजिमेंट ने यह ट्रॉफी जीती थी. वही इस विषय में रेजिमेंट के कमांडर एस.एस. पंवार ने कहा है कि शहीद जोगिंदर सिंह डिप्टी कमांडेंट के अदम्य साहस और बलिदान के सम्मान में बीएसएफ तोपखाना की तरफ से साल 2020 में बेस्ट ट्रोफी देने की घोषणा की गई थी.
पंवार ने कहा कि यहां हर साल विभिन्न सैन्य स्तर पर कई लेवल पर कंपटीशन चलते रहते हैं. जिसमें रेजिमेंट के अनुशासन से लेकर उनकी मारक क्षमता आदि को कई नजरिए से देखा जाता है .और जो रेजिमेंट सबसे अच्छा काम और प्रदर्शन करती है वही ट्रॉफी का हकदार माना जाता है.
इस विषय में अधिकारी बताते हैं कि यह बहुत ही कठिन तरह के लेवल होते हैं जो बेहद मुश्किल से पार किए जाते हैं. लेकिन हमने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान हासिल करके रेजीमेंट का नाम ऊंचा किया है. इसमें विभिन्न सैनिकों को ऐसे ऐसे टास्क दिए जाते हैं जो कि सामान्यतया पार नहीं किए जा सकते हैं. इसके साथ ही यह कड़ा अनुशासन भी बरकरार रखना होता है और उन्हीं के दम पर ट्रॉफी जीत पाना संभव है.
कौन है वीर चक्र जोगिंदर सिंह जिनके नाम से किया जाता है सम्मानित ?
बता दें कि शहीद जोगिंदर सिंह डिप्टी कमांडेंट(1941–1971) राजस्थान सेक्टर में 6 PGA बीएसएफ आर्टिलरी को कमांड कर रहे थे. यहां 17 दिसंबर 1971 को युद्ध के दौरान उन्हें इलाका विरवा में तैनात अपनी बटालियन को फायर सपोर्ट देने की जिम्मेदारी दी गई थी.
यहां इलाके की रेकी के बाद जब जोगिंदर सिंह अपनी पार्टी के साथ लौट रहे थे तभी विरवा इलाके में दुश्मनों द्वारा भारी तादाद में हथियारों द्वारा घात लगाकर उन पर हमला कर दिया गया था. लेकिन जवाबी कार्रवाई में उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और अब टुकड़ी के साथ दुश्मन पर धावा बोल दिया.
यहां लड़ाई के दौरान उन्हें गोली लग गई. लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ अंतिम सांस तक युद्ध किया. और अप्रतिम शौर्य और पराक्रम के लिए ही उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया. जिसके बाद साल 2020 में इस ट्रॉफी की घोषणा की गई.