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जयपुर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें यह खबर, नहीं तो बाद में होगा पछतावा

कुदरत ने ‘गुलाबी नगरी’ जयपुर को दिल खोलकर सजाया है इसके साथ ही यहां के राज घरानों ने भी इसे सुंदर बनाने में कोई कसर नहीं रखी है. जिसकी वजह से जयपुर दुनिया भर में जाना जाता है. लेकिन वर्तमान समय में यह खूबसूरत गुलाबी नगरी गंदी नगरी बनती जा रही है. एक तो सरकारी तंत्र की ढ़िलाई और दूसरा जनता की लापरवाही, यह दोनों ही खूबसूरत जयपुर को गंदा बना रहे हैं जिसके पुख्ता प्रमाण देखे जा सकते हैं.

यह बात जयपुर की कई तस्वीरें अपनी मुंह जबानी बोल रही है. शहर में अब एक से दो नगर निगम हो चुके हैं. एक नगर निगम हेरिटेज और दूसरा ग्रेटर, लेकिन ना तो हेरिटेज नगर निगम हेरिटेज की रक्षा कर पा रहा है और ना ही ग्रेटर अपने कार्य क्षेत्र को ग्रेट बना पा रहा है. ना तो शहरी क्षेत्र का कचरा कम हो पा रहा है और ना ही सीवरेज का बहता पानी रुक रहा है.

सड़कों के हालात भी कुछ ठीक नहीं है और आवारा पशु भी बेहद बढ़ चुके हैं. सड़कों पर झुग्गी झोपड़ियों की संख्या भी बढ़ रही है और उनका उपाय भी नहीं हो पा रहा. इसमें सरकारी तंत्र की गैर जिम्मेदारी तो साफ तौर पर बिकती है लेकिन जनता भी साफ सफाई के नियमों का कुछ खास खयाल नहीं रखती है.

एक सुंदर शहर के निवासी होने के बावजूद भी यहां की जनता अपनी मनमर्जी के अनुसार हर प्रकार का कचरा उड़ेल देती है जो गंदगी का कारण बन रहा है. इसके अलावा शहर के भीड़ भरे इलाकों में आवारा पशुओं की संख्या भी बेहद बढ़ रही है जिनके चलते आवारा पशुओं की वजह से आए दिन कई दुर्घटनाएं होती है. इस विषय में भी नगर निगम प्रशासन आंख मूंद कर बैठा है और कोई विशेष कार्रवाई नहीं हो रही.

इसके अलावा कई रिहायशी इलाकों में सीवरेज के पानी ने भी खासी समस्या पैदा कर दी है जिसका समाधान भी होता दिखाई नहीं पड़ रहा. साफ सफाई का दावा किया जाता है, तस्वीरें खिंचवाई जाती है. लेकिन ग्राउंड लेवल पर साफ सफाई कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रही. यदि इस प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता है और निगम समय रहते सचेत नहीं होता है तो खूबसूरत जयपुर भीड़ भरे तंग शहरों की कतार में आने वाला है.

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