Jaipur Metro : करोड़ों की लागत के बावजूद क्यों फेल हुई जयपुर मेट्रो ? क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह ?

Jaipur, Jaipur Metro :— राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी मुंबई, कोलकाता, गुड़गांव और बेंगलुरु के बाद देश की 6 वीं मेट्रो की शुरुआत जयपुर में की गई थी. जब इसकी शुरुआत की गई थी तब कई बड़े कारण दिए गए थे.

मेट्रो की शुरुआत के पीछे कई तर्क थे जैसे कि राजधानी में लगातार जनसंख्या में वृद्धि होना, दूसरा यहां कमर्शियल इंडस्ट्री का लगातार विकास होना और बढ़ते पर्यटन को देखते हुए मेट्रो की आवश्यकता महसूस की गई थी.

और इसी विषय को लेकर साल 2010 में जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का गठन करके मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. जिसका निर्माण कार्य 24 फरवरी 2011 में शुरू किया गया था.

जयपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को उस समय ‘पिंक लाइन’ का नाम भी दिया गया था जो कि गुलाबी नगरी के नाम की तर्ज पर रखा गया था. यहां पर कुल 3,149 करोड़ रुपए की लागत से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था जो कि आज जयपुर में विस्तारित है. वर्तमान समय में यह बड़ी चौपड़ से लेकर मानसरोवर तक संचालित है जिसमें कुल 11 स्टेशन हैं और यहां की लंबाई कुल 11.68 किलोमीटर है.

लेकिन इसके बावजूद भी जयपुर मेट्रो को एक फेल प्रोजेक्ट के तौर पर देखा जाता है और माना जाता है कि जयपुर मेट्रो किसी भी प्रकार का फायदा ना देते हुए एक नुकसान का सौदा है. इसका क्या कारण है कि दुनिया भर में जाने-माने एक शहर जयपुर में संचालित होने के बावजूद भी जयपुर मेट्रो विकास नहीं कर पाई और आज यह दम तोड़ती हुई नजर आती है?

आइए जानते हैं इसके तीन बड़े कारण ?

पहला कारण

जयपुर मेट्रो को फेल प्रोजेक्ट कहने के पीछे सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि जिस वक्त जयपुर में मेट्रो की शुरुआत की गई थी उस वक्त राजधानी को मेट्रो की आवश्यकता थी ही. नहीं बल्कि कई रिपोर्ट्स का दावा है कि साल 2025 तक जयपुर में मेट्रो चलाने की कोई आवश्यकता नहीं थी.

कई रिपोर्ट्स और रिसर्च के मुताबिक किसी भी शहर में मेट्रो चलाने के लिए कम से कम वहां की 40 लाख जनसंख्या हो तभी वह मेट्रो को अच्छी तरीके से संचालित कर सकते हैं. जबकि साल 2011 में जब मेट्रो की शुरुआत हुई तब जयपुर की जनसंख्या महज 23 लाख थी.

इसके बावजूद भी दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि किसी भी शहर में मेट्रो संचालित करने के लिए उसके प्रति स्क्वायर किलोमीटर एरिया में कम से कम 10,000 जनसंख्या का होना आवश्यक है. जबकि जयपुर में प्रति स्क्वायर किलोमीटर एरिया में महज 6,500 जनसंख्या ही बसती है. और कई ऐसे इलाकों में इससे भी कम जनसंख्या है जहां मेट्रो संचालित होती है.

दूसरा कारण

इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण जयपुर मेट्रो की गलत टाइमिंग भी है. वर्तमान समय में जयपुर मेट्रो तकरीबन 7:00 बजे शुरू होकर 9:00 बजे बंद हो जाती है. लेकिन जयपुर शहर में सुबह जल्दी और रात्रि देर तक भी कई ऐसे यात्री यात्रा करते हैं जो दूसरे शहरों से आते हैं अथवा अपने कार्यस्थल से लौटते हैं. ऐसे में मेट्रो की टाइमिंग भी यात्रियों की यात्रा के अनुरूप नहीं है.

तीसरा कारण

इसका तीसरा सबसे बड़ा कारण यह भी है कि जहां जयपुर मेट्रो संचालित होती है वह जयपुर के सभी मुख्य एरिया को कनेक्ट नहीं कर पाते हैं. गौरतलब है कि वर्तमान समय में जयपुर मेट्रो बड़ी चौपड़ से मानसरोवर तक चलती है. जबकि जयपुर के कई बड़े एरिया तो इस लाइन से बेहद दूर पड़ता है.

जैसे कि कोई व्यक्ति अगर वैशाली नगर में रहता है तो वह मेट्रो पकड़ने के लिए सिंधी कैंप अगर आए तो उसे 50 रूपए ऑटो के खर्च करने पड़ेंगे. ऐसे में अधिकतर व्यक्ति मेट्रो लेने के बजाय सीधा अपने पर्सनल व्हीकल अथवा ऑटो और बस से ही एक से दूसरे स्थान पर जाना पसंद करते हैं.

एक अंतिम कारण यह भी है कि यहां मेट्रो की फ्रीक्वेंसी भी बेहतर नहीं है. यहां एक मेट्रो जाने के बाद दूसरी मेट्रो आने के लिए यात्रियों को 15 से 20 मिनट तक का इंतजार करना पड़ता है. एक तो कमजोर कनेक्टिविटी और दूसरा हर मेट्रो के लिए इतना लंबा इंतजार यात्री करना पसंद नहीं करते हैं. और यही बड़े कारण है कि यहां जयपुर मेट्रो में यात्रा करने वाले लोगों की तादाद बेहद कम है.

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