जयपुर के नजदीक ही इस कस्बे की पहाड़ी से निकलता था देसी घी, आज भी चट्टान में है बेहद चिकनाई !

जयपुर, दौसा :— हम विभिन्न इलाकों में प्रसारित कई प्रकार की चीजों के बारे में सुनते आए हैं और ऐसी ही एक बात राजस्थान के दौसा जिले में एक पहाड़ी को लेकर कही जा रही है. जिसको लेकर कई प्रकार के बड़े दावे किए जाते हैं. यहां दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड क्षेत्र के बास बिवाई कस्बे की पहाड़ी पर मांगा सिद्ध मंदिर बना हुआ है.

और इसी मंदिर के ऊपर एक बड़ी पत्थर की शिला है. यहां स्थानीय लोगों का दावा है कि पुराने ज़माने से ही इस चट्टान में देसी घी निकला करता था. जिसके चलते चट्टान से निकले देसी घी को ही रोटी ऊपर लगाकर यहां लोग खाते थे. यहां सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि आज भी इस चट्टान के नीचे चिकनाई बनी हुई है और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पहाड़ी से काफी वर्षों पहले स्थानीय लोग पशु चराने के लिए आते थे.

और चट्टान से निकलने वाली देसी घी से ही रोटी खाते थे. हालांकि इस बात की पुष्टि हम नहीं कर सकते. लेकिन जिस प्रकार के दावे किए जा रहे हैं उनके परिपेक्ष में इस पहाड़ी के आसपास देखा जा सकता है कि यहां चिकनाई आज भी बनी हुई है और घी जैसी कुछ खुशबू भी इस चट्टान से आती है.

बता दें कि यह दौसा जिले की बास बिवाई कस्बे की पहाड़ी पर मांगा सिद्ध महाराज का स्थान है जो वर्षों से बना हुआ है. यहां पूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और प्रसाद चढ़ाकर अपनी मन्नत मांगते हैं. यहां स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर कई बड़ी चट्टाने हैं और सबसे बड़ी चट्टान से वर्षों से ही देसी घी निकलता था.

वही मंदिर के पुजारी जी का भी कहना है कि चट्टान से निकलने वाले घी को लोग कई बर्तनों में भरकर अपने घर ले जाते थे. और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों समेत अनुष्ठानों में भी प्रयोग करते थे. वहीं पशु चराने वाले लोग इससे अपनी रोटियां भी चुपड़ा करते थे.

अब क्यों नहीं निकलता घी?

अब जब यह सवाल पूछा जाता है कि अब इस चट्टान में से घी क्यों नहीं निकलता? तब पुजारी जी का कहना है कि यहां पशु चराने वाले लोगों ने झूठी रोटियां इस स्थान पर लगा दी. जिसके बाद से ही यहां देव रुष्ट हो गए और चट्टान से घी आना बंद हो गया. हालांकि यहां चिकनाई आज भी महसूस की जा सकती है और घी जैसी खुशबू भी यहां से आती है.

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