Rajasthan, Haunted Jain Mandir of Churu :— राजस्थान समेत देश के कई इलाकों में पहले के जमाने में यह प्रथा हुआ करती थी कि बारातें कई दिनों तक रुका करती थी. अर्थात् जब बारात आती थी तो 2 से 3 दिन तक उनके रोकने का आयोजन होता जिसके बाद ही उनकी विदाई की जाती थी.
लेकिन राजस्थान के एक इलाके में पुराने जमाने में एक बारात के साथ कुछ ऐसा हुआ कि आज भी लोग इस जगह आने से बेहद खौफ खाते हैं. यहां प्रचलित कथाओं के अनुसार राजस्थान राज्य के चुरू जिले के तारानगर में एक जैन मंदिर है और हजारों सालों पहले बने इस मंदिर में अब लोग आने से डरते हैं. यह मंदिर तारानगर के मुख्य बाजार में है जो सभी मंदिरों में सबसे पुराना माना जाता है. लेकिन मंदिर से लोगों को कोई जुड़ाव नहीं है. मंदिर में पुजारी पूजा करते हैं और वे कहते हैं कि मंदिर में कुछ भी डरावनी चीज नहीं है. लेकिन लोग फिर भी यहां से खौफ खाते हैं.
क्यों डरते है लोग ?
बताया जाता है कि पुराने जमाने में प्रचलित कथाओं के अनुसार जब किसी की बारात आती थी तो कई दिनों तक रुका करती थी. और इसी कड़ी में एक बारात ने यहां एक रात तक रुकने का आयोजन बनाया. लेकिन वह बारात रातो रात ही यहां से गायब हो गई और उसका कुछ भी मालूम नहीं चल सका. परिजनों के बहुत ढूंढने के बावजूद भी एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं हुआ जो वापस मिला हो.
जिसके बाद से ही इस मंदिर का नाम ‘डाकी देव’ पड़ गया. यहां मंदिर के एक कमरे में ताला लगा हुआ है और इसे लेकर लोगों का कहना है कि यहां एक गुफा है जबकि कुछ लोग कहते हैं कि यह एक सुरंग है जो बीकानेर तक जाती है. हालांकि इस बात की पुष्टि किसी ने नहीं की है. क्योंकि कोई भी इस कमरे का ताला खोलने की हिम्मत नहीं करता है.
बता दें कि यहां मंदिर के गर्भ गृह के बीचों बीच में माता पद्मावती की एक प्रतिमा लगी हुई है. यही इनके साथ शीतलनाथ जी की भी एक मूर्ति है यह मंदिर पुराने किलों की तर्ज पर बना हुआ है और तारानगर में इस मंदिर में सुबह की आरती और शाम की आरती लगातार होती है. लेकिन दिन भर यह मंदिर बंद रहता है.
नहीं है रात रुकने की इजाजत !
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर बीकानेर संभाग का सबसे पुराना मंदिर है. यूं तो लोगों का इस मंदिर में लोगों का आना जाना ना के बराबर है. लेकिन जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो लोग इसमें अवश्य आते हैं. यहां स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में रात रुकने की इजाजत नहीं है. इसलिए कोई भी व्यक्ति यहां रात्रि नहीं रुकता है.
प्रतिमा को लेकर भी प्रचलित है कई बातें
यहां मंदिर की एक प्रतिमा को लेकर भी ग्रामीणों का कहना है कि चूरू हनुमानगढ़ सीमा पर गांव साहवा के पास तालाब में यह मूर्ति निकली थी. जहां दो अलग-अलग जिले लगते हैं इसलिए नोहर के आसपास वाले लोग बोले कि यह मूर्ति हमारी है लेकिन कुछ लोग बोले कि यह मूर्ति हमारी है. जिसके चलते इस मूर्ति को रथ में रख दिया गया. लेकिन बाद में देखा गया कि रथ का मुंह नोहर की तरफ है और मूर्ति तारानगर की तरफ, जिसे कि भक्तों ने इसे भगवान का चमत्कार माना था.