राजस्थान में देवी का यह बेहद अनोखा मंदिर ; चढ़ाई जाती है बेड़ियां और हथकड़ियां, पीछे है अनोखी मान्यता

राजस्थान :— यूं तो राजस्थान समेत देशभर में देवी माता के कई ऐसे मंदिर है जहां विभिन्न अलग-अलग मान्यताएं देखने को मिलती है. और इसी कड़ी में एक बेहद यूनिक मंदिर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में भी है. जहां जाने वाले भक्त यहां सुहाग के सामान और भोग साथ ही साथ बेड़ियां और हथकड़ियां भी चढ़ाते हैं. शायद आपने पहली बार ही ऐसा सुना होगा कि देवी के मंदिर में जहां बेड़ियां चढ़ाई जा रही है. तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.‌

दरअसल यहां हम जिक्र करने जा रहे हैं अरावली पर्वतमाला और घने जंगलों के बीच तकरीबन 500 मीटर की ऊंची पहाड़ी पर बने दिवाक माता मंदिर की, जो कि प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर जोलार गांव में स्थित है.

इस मंदिर में देवी के भक्तों का तांता लगा रहता है और भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के जतन करते हैं. इसीलिए तो यहां प्रसाद के साथ ही साथ सुहाग के सामान ही नहीं बल्कि देवी को यहां हथकड़ियां और बेड़ियां भी चढ़ाई जाती है. यहां मंदिर के प्रांगण में घड़े त्रिशूल में हथकड़ियां चढ़ाई जाती है जो कई सालों पुरानी है.

क्या है पीछे की मान्यता ?

यहां ऐसा करने के पीछे बेहद रोचक कहानी भी है. बताया जाता है कि यहां प्राचीन समय में मालवा मेवाड़ अंचल में डाकुओं का बेहद बोलबाला था. डाकू यहां से मन्नत लेते थे कि अपना काम करते समय अगर वह पुलिस के चंगुल से बच जाएंगे तो हथकड़ियां और बेड़ियां जरूर चढ़ाएंगे.

एक प्रसिद्ध किंवदंती यह भी है कि पहले रियासत काल में यह डाकू पृथ्वी राणा ने जेल में दिवाक माता से यह मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोड़ने में कामयाब रहा तो सीधे माता के दर्शन करने आएगा. और उसने ऐसा किया. जिसके बाद वह जेल से भाग कर सीधा इस मंदिर में अपनी मन्नत पूरी करने पहुंचा. उसके बाद से ही यह माना जाता है कि जो कोई भक्त किसी ना किसी आरोप में कोर्ट के चक्कर लगाते हैं वह यदि आकर यहां माता से मन्नत मांगे तो उनकी पूरी होने पर बेड़ियां और हथकड़ियां चढ़ाते हैं.

इस मंदिर की एक और खासियत यह भी है कि मंदिर के चारों और यहां एक छोटा सा घना जंगल है. जहां छोटी-बड़ी पहाड़ियों और ऊंची नीची जगहों पर बेहद मुश्किलों से पहुंचा जा सकता है. लेकिन मंदिर के आसपास कोई भी व्यक्ति यहां पेड़ नहीं काट सकता.

200 साल पुराना है त्रिशूल

मंदिर के जिस त्रिशूल में बेड़ियां चढ़ाई जाती है वह तकरीबन 200 साल से मंदिर के प्रांगण में गड़ा हुआ है. लोग इसी त्रिशूल पर मन्नत मांगते हुए हथकड़ियां चढ़ाते है. माना जाता है कि यहां आने वाला हर कोई व्यक्ति अपने विभिन्न मामलों से छुटकारा पाता है और दुःख दर्द से निजात पाने पर ही देवी को बेड़ियां अर्पित करता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *