nagauri methi farmer

नागौरी मैथी: कभी घोड़ों का चारा हुआ करती थी लेकिन आज है 5 स्टार होटलों का स्वाद, सालाना 150 करोड़ का कारोबार

घर की आम रसोई से लगाकर सेवन स्टार होटल की स्पेशल रेसिपी या फिर हो कोई फेमस इंटरनेशनल फूड, नागौरी कसूरी मेथी के जायके के बगैर सब अधूरा सा लगता है. इसकी खास तरह की खुशबू कुछ ऐसी है कि यह हर पकवान का जायका बदल देती है.

यही वजह रही है कि नागौर में उगने वाली यह खास तरह की हरी सूखी पत्तियां आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों की पहली पसंद बन चुकी है. राजस्थान के नागौर के खेतों में उगने वाली यह कसूरी मेथी ढाबे से लगाकर सेवन स्टार होटल में भी पकवानों में प्रयोग की जाती है.

खास बात यह है कि कसूरी मेथी की खेती देशभर में की जाती है लेकिन जो खुशबू नागौर की मेथी में है उसका स्वाद और अरोमा किसी भी जगह की मेथी में नहीं आ पाया है. वैज्ञानिक इसके लिए नागौर की जलवायु और मिट्टी को मेथी के लिए अनुकूल मानते हैं.

आपको बता दें कि नागौर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर क्षेत्र में कुचेरा, खजवाना, रूण, ताऊसर और इंदोकली सहित कई गांव में सैकड़ों किसान अपनी जमीन में इस मेथी की बुवाई करते हैं. नागौर क्षेत्र में सैकड़ों सालों से मेथी की खेती की जा रही है. ग्रामीण इस विषय में बताते हैं कि पहले ताऊसर गांव में इससे घोड़ों के चारे के तौर पर उगाया जाता था.

लेकिन धीमे-धीमे इसकी ख़ास खुशबू ने लोगों को आकर्षित किया और लोग इसका घरों में उपयोग करने लगे. जिसके बाद यह लोकल बाजार तक पहुंचा और आजादी के कुछ साल पहले यहां इसे धर्मपाल गुलाटी ने इसे पहचाना और यहां के किसानों से खरीदना शुरू कर दिया. इसके बाद ही नागौरी कसूरी मेथी की कायापलट हुई और उन्होंने खुद की कंपनी एमडीएच की प्रोसेसिंग यूनिट यहां लगा दी. जिसके बाद इसका जायका देश के कोने-कोने तक पहुंचने लगा और कई नामी ब्रांड नागौर की कसूरी मेथी को तैयार करने में जुट गए.

आपकों बता दें कि नागौरी मेथी को पान मेथी भी कहा जाता है. इसकी क्वालिटी के हिसाब से इसके भाव भी अलग अलग है. लोकल बाजार में यह 100 रूपये से लेकर 150 रूपये किलो तक बिकती है. ग्लोबल मार्केट में जाते ही इसके भाव बदल जाते है. बाजार में कई ब्रांड इसे 700–800 रूपये किलो पर बेचते है जबकि कई इससे भी महंगा बेचते है.

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