जब भी राजस्थान का नाम लिया जाता है तो लोगों के जहन में किले, सूखे और रेगिस्तान जैसी तस्वीरें छप जाती है. जिनमें पगड़ी बांधे हुए लोग ऊंट लिए चलते नजर आते हैं. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं जो आपके इस रवैये को बदल कर रख देगी.
दरअसल जो खूबसूरत नजारा आपको हम दिखाने जा रहे हैं वह राजस्थान गुजरात बॉर्डर से सटे अरावली के बीच बसे कोटड़ा इलाके का है. यहां एक नदी बहती है जिसे वाकल के नाम से जाना जाता है. लेकिन यह एक ऐसी नदी है जिसका तकरीबन हर 7 किलोमीटर के बाद नाम बदल जाता है. मानसून के दौरान तो यह खूबसूरत के साथ साथ बेहद विकराल रूप ले लेती है.
क्योंकि यहां से गुजरात बॉर्डर पास में है इस वजह से यहां का सारा पानी गुजरात में जाता है ऐसे में राजस्थान बॉर्डर से ही निकलते ही इस नदी का नाम ‘साबरमती’ हो जाता है. आपको बता दें कि वाकल या साबरमती नदी का जल क्षेत्र तकरीबन 1851 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यह राजस्थान के उदयपुर और गुजरात के साबरकांठा के बीच है.
वहीं इसके उद्गम स्थल की बात करें तो यह नदी गोगुंदा तहसील के गोरा नामक गांव के निकट स्थित पहाड़ियों से निकलती है. रास्ते में इसके नजारे कई बार इस हद तक खूबसूरत हो जाते हैं कि लोग इसे कुदरत का नेकलेस कहते हैं. लेकिन खूबसूरती के साथ ही साथ यह मानसून में अधिक वर्षा के चलते यह बेहद विकराल भी हो जाती है और इसका पानी चारों तरफ देखा जा सकता है.
बेसिन का सबसे बड़ा बांध ‘मानसी वाकल बांध’:- इस बेसिन क्षेत्र का 98% राजस्थान में है शेष गुजरात में है. बेसिन के लिए औसत वार्षिक सतह जल की उपज 319.4 मिलियन क्यूबिक मीटर है. वहीं वाटर शेड में 24 लघु सिंचाई परियोजनाएं हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 65.8 मिलियन क्यूबिक मीटर है.