बिजली संकट की समस्या से राहत देने के लिए राजस्थान सरकार 3 नए थर्मल बेस पावर प्लांट लगाने जा रही है. जिससे 2120 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन बढ़ जाएगा. राजस्थान राज्य विद्युत निगम उत्पादन के बारां जिले में छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्निक बेस्ड थर्मल पावर प्रोजेक्ट में 600–660 मेगावाट कैपेसिटी की दो यूनिट लगाई जाएंगी.
वहीं झालावाड़ जिले के कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में भी 800 मेगावाट कैपेसिटी का एक अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट लगाया जाना है. इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अप्रूव कर दिया है. प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के साथ ही अब इन प्रोजेक्ट का काम भी शुरू होने को है और सूत्रों के अनुसार आगामी 4 वर्षों में यह यूनिट चालू हो जाएंगी.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री की स्वीकृति से छबड़ा थर्मल पावर प्रोजेक्ट विस्तार कर 9606.06 करोड रुपए की लागत से 2 अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्निक आधारित यूनिट लगाई जाएंगी. वहीं कालीसिंध थर्मल प्रोजेक्ट के विस्तार में 6054.58 करोड रुपए की लागत से एक अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट लगेगी. इस विषय में राजस्थान सरकार का कहना है कि सरकार बिजली प्रोडक्शन के मामले में प्रदेश को सेल्फ डिपेंडेंट बनाना चाहती है.
और इसीलिए गहलोत ने प्रदेश को पावर सरप्लस बनाने के निर्देश दिए हैं. इन यूनिट्स के लगने से लोकल एरिया का विकास होगा. साथ ही रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी. गहलोत ने बजट सत्र 2022–23 में उत्पादन निगम के थर्मल पावर प्लांट में कोयले की बचत, प्रदूषण की कमी और पर्यावरण के मुद्दों को मद्दे नजर रखते हुए महत्वपूर्ण अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनाने की घोषणा की थी.
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की आने वाले 5 से 7 सालों में ऊर्जा की जो डिमांड होगी उसी को मद्देनजर रखते हुए मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया है. प्लांटों को दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर केवल इस पहलू से देखा गया है कि इन्फ्राट्रक्चर सुविधाएं कहां उपलब्ध है ! जहां नए प्लांट कम कीमत पर लगाए जा सकते हैं. अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल प्लांट पर्यावरण के लिए ज्यादा हितैषी है. क्योंकि पुरानी पावर यूनिट में कार्बन और गैसों का उत्सर्जन ज्यादा होता है साथ ही कोल कंजपशन के मामले में भी अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट अच्छा है.