आज हम खास जयपुर के बारे में चर्चा करते हुए बात करने जा रहे हैं जयपुर के एक ऐसे इंजीनियर कपल के बारे में जिन्होंने एक ऐसी कला को पुनर्जीवन दिया जो लगभग मर चुकी थी.
हम बात करने जा रहे हैं जयपुर के रहने वाले पूर्णिमा और चिन्मय में के बारे में, जिन्होंने कुछ समय पहले अपनी नौकरी छोड़ कर शुरू किया था पेपर और घास की टोकरियां बनाने का एक शिल्पकला व्यवसाय!
प्रेरित है ‘मेक इन इंडिया’ से :– मित्रों आपको बता दें कि पूर्णिमा और चिन्मय दोनों ही कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी किया करते थे. लेकिन बाद में इन्होंने अपनी सफलता की कहानी लिखने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और एक बिजनेस शुरू कर दिया.
पूर्णिमा और चिन्मय में का यह बिजनेस मुख्य रूप से ऐसी महिलाओं के लिए रोजगार का साधन बन चुका है जो बहुत शिक्षित नहीं है अथवा कई कार्यो में अकुशल है.
आपको बता दें कि पूर्णिमा और चिन्मय की कंपनी का नाम ‘शुभम क्रॉफ्टस’ है जो मुख्य रूप से कुछ हस्तनिर्मित शिल्प कला युक्त चीजें बनाता है. इस बिजनेस को खड़ा करने के लिए कपल ने बहुत अधिक निवेश भी नहीं किया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार कपल ने इस बिज़नेस में शुरुआती दौर में तकरीबन 5 लाख का इन्वेस्टमेंट किया था लेकिन वर्तमान में इन्होंने अपने 1 साल का टर्नओवर एक करोड़ तक बना लिया है.
आपको बता दें कि दोनों ही कपल ने एनआईटी से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. इसके बाद पूर्णिमा और चिन्मय में ने अलग-अलग कॉरपोरेट जगत में एक अच्छी खासी नौकरी पा ली थी.
पूर्णिमा ने 3 साल तक पेट्रोफैक इंजीनियरिंग सर्विसेज में नौकरी की थी. वही चिन्मय ने म्यू–सिग्मा में नौकरी कि थी. लेकिन वर्तमान समय में दोनों ने अपनी राहें एक कर ली है और जीवन में सफलता हासिल करते हुए यह आज कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं.
जयपुर के युवा वर्ग में उद्यमशीलता और entrepreneur बनने के लिए अच्छा खासा उत्साह देखा जा सकता है.पूर्णिमा और चिन्मय की कहानी इस बात का उदाहरण भी है. जिन्होंने अपने निवेश से कई गुना ज्यादा बड़ा बिजनेस खड़ा कर दिया है. जयपुर शहर में जिस प्रकार से विकास योजनाएं और युवा वर्ग में जिज्ञासा उत्पन्न होने का दौर चल रहा है, यदि यह लगातार चलता रहा तो कुछ ही समय में जयपुर प्रभावशाली स्थानों की सूची में आ जाएगा.
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