मधुमक्खी छत्ते जैसी यह राजस्थानी मिठाई, कभी एक एक पीस बेचा लेकिन आज करते है करोड़ों की कमाई

जब हम आपसे पूछ रहे हैं कि मधुमक्खियों के छत्ते जैसी दिखने वाली सबसे शानदार मिठाई कौन सी है? तो आप फटाक से कह देंगे कि यह घेवर है. इंग्लैंड में इसे हनी कॉंब डेजर्ट कहकर पुकारा जाता है. बिना चाशनी के ये छत्ते जब चाशनी में डुबोकर लगा कर आते हैं तो खाने के शौकीन लोगों के मुंह में पानी आने लगता है.

यही वजह है कि इस मिठाई ने दुनियाभर में लोगों को अपने स्वाद से दीवाना बनाया हुआ है. लेकिन खास बात यह भी है कि घेवर की मूल रूप से जड़े राजस्थान से ही जुड़ी है और तीज, गणगौर और रक्षाबंधन जैसे त्योहार तो घेवर के बगैर तो अधूरे ही लगते हैं.

वैसे अब तो यह मिठाई इतनी पॉपुलर हो चुकी है कि लगभग पूरे राजस्थान में ही इसे बनाया जाता है. राजस्थान से बाहर भी इसकी कई दुकानें आपको मिल जाएगी लेकिन आज हम उस घेवर की बात करने जा रहे हैं जो तकरीबन 80 साल से जयपुर की शान बना हुआ है.

80 साल से जयपुर की शान

जयपुर के जौहरी बाजार में स्थित लक्ष्मी मिष्ठान भंडार पर एक खास तरह का घेवर तैयार होता है जिसे वर्ल्ड फेमस पनीर घेवर भी कहा जाता है. इसके मालिक अजय अग्रवाल ने बताया है कि यह घेवर मुगल काल से ही बनाया जा रहा है. इसके अलावा जयपुर का पूर्व राजपरिवार भगवान को छप्पन भोग में भी यह घेवर जरूर परोसता था.

यही वजह है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमिताभ बच्चन और कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी इसका स्वाद चख चुके हैं. हालांकि यह घेवर कहां से आया ? इसका प्रमाण तो किसी के पास भी नहीं है लेकिन पनीर घेवर की शुरुआत अजय अग्रवाल के दादा ने की थी.

आपको बता दें कि सामान्यतया घेवर मैदा और अन्य सामान को मिलाकर बनता है लेकिन अजय अग्रवाल के दादा मालीराम घोड़ावत ने इसकी रेसिपी में कई बड़े बदलाव किए थे. उन्होंने सैकड़ों लीटर दूध के साथ घेवर को लेकर नए प्रयोग किए और कई महीनों की मेहनत के बाद उन्होंने पनीर घेवर तैयार किया.

उस वक्त जयपुर के जोहरी बाजार में एक भी खाने पीने की दुकान नहीं थी लेकिन मालीराम घोड़ावत ने लकड़ी की एक बेंच पर अपने घेवर बेचना शुरू किया. कुछ ही दिनों में मालीराम घोड़ावत कि यह पनीर घेवर इतने फेमस हुए कि लोग इसके स्वाद के दीवाने बन गए.

जिसके बाद 1940 में उन्होंने उसी जगह पर अपनी दुकान लक्ष्मी मिष्ठान भंडार की नींव रखी और आज यही दुकान अब फेमस रेस्टोरेंट में तब्दील हो चुकी है. इस रेस्टोरेंट को अब तकरीबन 80 साल से इस विरासत की चौथी पीढ़ी संभाल रही है.

करोड़ों का कारोबार

मालीराम घोड़ावत द्वारा बनाया गया यह खास घेवर इतना फेमस हो चुका है कि लोग इसे खरीदने के लिए लाइने बनाकर खड़े रहते हैं. आमतौर पर घेवर मैदे और दूध से बनता है लेकिन इस दुकान पर घेवर ताजा पनीर से तैयार किया जाता है जिस वजह से इसका स्वाद सबसे अलग बनता है और यही कारण है कि इसके दाम भी दूसरे घेवर से अधिक है.

आपको बता दें कि वर्तमान समय में यहां एक पीस की कीमत तकरीबन 500–600 रूपए है. फ्लेवर रबड़ी के साथ घेवर का एक पीस तकरीबन ₹600 का होता है. जिसका वजन तकरीबन 500 ग्राम से ज्यादा होता है. बेहतरीन स्वाद के कारण यहां ग्राहकों की भीड़ उमड़ती रहती है जिससे दिन भर में सारे घेवर बिक जाते हैं. एक अनुमान के अनुसार लक्ष्मी मिष्ठान भंडार का सालाना टर्नओवर एक करोड़ से भी ज्यादा है.

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