जयपुर: जयपुर सेशन कोर्ट में एक स्थाई लोक अदालत ने बिना किसी विविध प्रक्रिया के अपनाएं वाहन कब्जा लेने को लेकर उसे बेचने को गलत माना है. इसके अलावा अदालत ने इस प्रक्रिया में फाइनेंस कंपनी पर कुल 1 लाख 21 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. अदालत ने इस राशि पर 7 फ़ीसदी ब्याज देने के आदेश देते हुए परिवादी को एनओसी जारी करने को भी कहा है. कोर्ट ने ये आदेश परिवेश होने के परिवाद पर दिए हैं.
यहाँ जानें क्या हुआ पूरा मामला ?
परिवाद में यह कहा गया कि उसने कार खरीदने के लिए बेस्ट कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड से 1 लाख रुपए का लोन लिया था. कंपनी ने इसके शुल्क के नाम पर ₹7864 नकद लिए इसके अलावा एक किस्त एडवांस लेने की बात कहते हुए विक्रेता के नाम से ₹76626 का चेक दे दिया. जबकि कंपनी को ₹94300 देने थे.
इसके अलावा कंपनी ने अधिक काटी गई राशि में समायोजित करने का आश्वासन दिया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया. कोर्ट में बताया गया कि इसके बाद 27 अगस्त 2019 को कंपनी के कर्मचारी ने उनकी गाड़ी जबरदस्ती छीन ली. वहीं फाइनेंस कंपनी की तरफ से इस विषय में कहा गया कि परिवादी ने लोन की शर्तों की अवहेलना करते हुए किस्त का भुगतान नहीं किया है.
इसके कारण ही वाहन जब्त कर लिया गया है. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि फाइनेंस कंपनी ने इस जबरन ले गए और वाहन को आगे बेच दिया. इस पूरे मामले पर अदालत ने यह कहा है कि याचिकाकर्ता को ₹17674 कम दिए गए थे. इस राशि को तीन किस्तों में समायोजित किया जा सकता था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
इसके अलावा वाहन उठाने में विधिक प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया है .यह प्रक्रिया वाजिब बिल्कुल नहीं कही जा सकती. इसलिए कंपनी नुकसान के लिए 60 हजार रुपए और मानसिक संताप के लिए 40 हजार रुपए और विधिक प्रक्रिया के लिए 21 हजार रुपए का भुगतान करेगी.
कोर्ट के इस फैसले से याचिकाकर्ता को राहत प्रदान हुई है साथ ही यह उन फाइनेंस कंपनियों पर तमाचा है जो अपनी मनमानी बखूबी करते हैं. क्योंकि ऐसा अक्सर देखा गया है कि फाइनेंस कंपनियां अपनी रकम वसूलने के लिए किसी भी कठोर प्रक्रिया को अपना लेते हैं. इसके अलावा वह अपने ग्राहकों की संतुष्टि के बारे में जरा भी नहीं सोचते.