Albert Museum: पुराने जमाने में निर्माण की गई हर चीज के पीछे एक कहानी होती है. उसके पीछे एक ऐसा इतिहास होता है जिसमें उसके निर्माण की रोचक प्रस्तुति छुपी होती है. यह कहानियां सुनने में काफी दिलचस्प लगती है साथ ही यह उस वक्त के शाही अंदाज को भी दिखाती है. कि कैसे भारतीय राजा अपने शाही अंदाज में करोड़ों लुटा देते थे !
ऐसे ही एक पुरानी रोचक जगह है जो जयपुर के लोगों के लिए घूमने की लिस्ट में सबसे पहले आती है. हां जी! हम बात करने जा रहे हैं जयपुर के सबसे बड़े और पुराने म्यूजियम अल्बर्ट हॉल की, जिसका निर्माण महाराजा रामसिंह द्वारा करवाया गया था. इस संग्रहालय को साल 1887 में जनता के लिए खोला गया था. आपको बता दें कि तकरीबन 140 साल पुराना यह संग्रहालय राम निवास गार्डन में स्थित है.
जहां आप घूमने के लिए जरूर जा सकते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं इस म्यूजियम की कुछ खास बातें! हवामहल से तकरीबन 10 मिनट की दूरी पर स्थित इस म्यूजियम को ‘सरकारी केंद्रीय संग्रहालय’ भी कहा जाता है. आपको बता दें अल्बर्ट हॉल की स्थापना साल 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स ‘अल्बर्ट एडवर्ड’ की जयपुर यात्रा के दौरान की गई थी.
उनके नाम पर ही इस इमारत का नाम भी रखा गया. लेकिन बाद में जयपुर के महाराजा के सामने यह समस्या आई कि आखिर इस इमारत का उपयोग किस तरह से किया जाए ! इस विषय में महाराजा रामसिंह चाहते थे कि संग्रहालय भवन एक टाउन हॉल हो. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि इसे सांस्कृतिक और शैक्षिक उपयोग में लाया जा सकता है.
लेकिन इसके लिए डॉक्टर थॉमस होबिन हेनली ने स्थानीय कारीगरों को अपनी शिल्प कलाकारी दिखाकर उन्हें प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था. हेनली का यह सुझाव जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को काफी पसंद आया और उन्होंने इसे साल 1880 में जयपुर के स्थानीय शिल्पकाला की कलाकृति को प्रदर्शित करने वाले एक संग्रहालय के रूप में बनाने का फैसला कर लिया.
आखिरकार साल 1887 में इसे जयपुर की जनता के लिए इसे खोल भी दिया. तब से ही यह एक म्यूजियम के रूप में जाना जाता है. लेकिन इस विषम की भव्य वास्तुकला आपको हैरान कर देने वाली है यहां की डिजाइनिंग indo-saracenic शैली में निर्मित है. संग्रहालय को महाराजा रामसिंह के शासन में सैमुअल्स सि्वंटन जैकब द्वारा डिजाइन किया गया था.
जयपुर कला के कुछ बेहतरीन काम के साथ इसमें पेंटिंग, कलाकृतियां, आभूषण कालीन धातु पत्थर और हाथी दांत की कई मूर्तियां भी मौजूद है. इसमें राजस्थानी वास्तुकला के साथ पश्चिमी शैली को भी उभारने का प्रयास किया गया है.
सबसे खास!
मुद्रा शास्त्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए अल्बर्ट हॉल एक बेहतरीन जगह है. क्योंकि यहां के सिक्कों का कलेक्शन बेहद आकर्षक लगता है. यहां के सिक्के गुप्त, कुषाण, दिल्ली सल्तनत, मुगलों और अंग्रेजों के समय है के हैं. क्या आप जानते हैं कि अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भारत के उन छह स्थानों में से एक है जहां आप मिस्त्र की मम्मी को भी देख सकते हैं?
अगर आप भी यह म्यूजियम देखना चाहते हैं तो आप हफ्ते के सभी दिनों में सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक और शाम 7:00 बजे से रात 10:00 बजे तक जा सकते हैं. यहां भारतीय पर्यटकों के लिए ₹40 टिकट लगता है. वहीं विदेशी यात्रियों के लिए ₹300 का चार्ज लिया जाता है.