छात्र संघ चुनाव: जब भी हम छात्रसंघ चुनाव के बारे में चर्चा करते हैं तो हमारे जहन में विभिन्न पोस्टर से भरी दीवारें, चमकती गाड़ियों के काफिले, धरनों के साथ हल्ले करते हुए विद्यार्थियों का दृश्य आ जाता है. कई बार तो छात्र संघ चुनाव में अनुशासनहीनता इस कदर हो जाती है कि यकीन नहीं आता यह मात्र कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी हैं. साथ ही महज छात्र संघ चुनाव में चुनाव लड़ने हेतु में विद्यार्थी लाखों रुपए खर्च कर देते हैं.
अधिकतर छात्र संघ चुनाव का यही हाल है लेकिन आज हम जहां के छात्र संघ चुनाव के बारे में बातचीत करने जा रहे हैं वह एकमात्र ऐसा चुनाव है जहां ना तो चुनाव के लिए कोई बड़ी कैंपेनिंग होती है, ना ही कोई धरने प्रदर्शन और ना ही ज्यादा पैसे खर्च होते हैं.
बल्कि यहां पर चुनाव महज 3 दिन में निपट जाता है और यहां वोट देने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी अच्छी खासी है इसके बावजूद भी यहां शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न होते हैं. यहां के चुने गए प्रतिनिधि विधायक या मंत्री बनने की फिराक में नहीं बल्कि आईएएस आईपीएस और आर ए एस जैसी सेवाओं में जाकर काम कर रहे हैं.
दरअसल हम बात करने जा रहे हैं अजमेर की ‘सोफिया कॉलेज’ की जहां छात्र संघ चुनाव अपने आप में एक प्रसिद्धी है. यहां की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इन चुनावों में आपको एनएसयूआई और एबीवीपी जैसे स्टूडेंट विंग की दखलअंदाजी नजर नहीं आती बल्कि यहां केवल सोफिया स्टूडेंट एसोसिएशन के बैनर तले ही चुनाव होते हैं. इनका गठन हर साल आमतौर में अगस्त में होता है. एसोसिएशन में तकरीबन 30 स्टूडेंट पर एक CR यानी क्लास रिप्रेजेंटेटिव चुना जाता है.
अपना-अपना भजन टेशन देती है चुनाव लड़ने वाली लड़कियां
यहां के विद्यार्थियों को चुनाव लड़ने हेतु कैंपेनिंग नहीं करने दी जाती. अपना नामांकन भरने के बाद यहां चुनाव लड़ने वाली लड़कियां केवल अपना प्रेजेंटेशन देनी ही दे सकती है. जिसमें यह बताना होता है कि वह 1 साल के स्टूडेंट वेलफेयर में आगे क्या करना चाहती है? अगर स्टूडंट को किसी प्रतिनिधि का प्रेजेंटेशन पसंद आता है तो वे उसके पक्ष में वोट करती है.
एक ही संकाय में यहां एक से ज्यादा गर्ल्स भाग लेती है. यह चुनाव पूरी तरह से non-political होता है. चुनाव जीतने के बाद डिप्टी हेड और साल भर कॉलेज में होने वाले कार्यक्रम और व्यवस्था में सहयोग करने वाले प्रतिनिधि चुने जाते हैं.
सोफिया कॉलेज के चुनाव छात्र संघ चुनाव के लिए एक अच्छी सीख है ताकि विद्यार्थी अनुशासन का पूरा ध्यान रख सके. लेकिन देखा गया है कि अन्य विश्वविद्यालयों में चुनाव हेतु ऐसी गहरी राजनीति आजमायी जाती है मानो वह कॉलेज विद्यार्थी नहीं बल्कि मंझे हुए राजनेता हो.