छात्र संघ चुनाव जयपुर: हम जब भी छात्र संग चुनावों का जिक्र करते हैं हमारे जहन में कारों का लंबा काफिला, पीछे दौड़ते हुए को विद्यार्थी और महंगे पोस्टर आते हैं. इन दृश्यों के कारण हमारे जहन में छात्र संघ चुनाव को लेकर एक निश्चित छवि बनी हुई है कि यह सब केवल महंगा रसूख रखने वाले विद्यार्थियों का ही खेल है. हम हमेशा मानते आए हैं कि ऐसे विद्यार्थी जिनका परिवार राजनीति में एक अच्छा दबदबा रखता है और उनके पास मोटे पैसे हो केवल वे ही इन में अपनी छवि चमका सकते हैं.
लेकिन राजस्थान यूनिवर्सिटी के महारानी कॉलेज के चुनावी तस्वीरें इस बार कुछ अलग ही दृश्य बयां कर रही है. इस वर्ष महारानी कॉलेज में देखा जा रहा है कि यहां अध्यक्ष पद की दावेदार ऐसे परिवार से तालुकात रखती है जो सामान्य स्तर के हैं लेकिन इसके बावजूद वे अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रही है. तो आइए जानते हैं इन चुनावी चेहरों के बारे में भास्कर रिपोर्ट से–
निकिता फामरा
टोंक से तालुकात रखने वाली निकिता जयपुर में बीए की पढ़ाई कर रही है. निकिता के पिता टोंक के मंडावा में हलवाई की दुकान चलाते हैं. निकिता का कहना है कि इस वर्ष के छात्र संघ चुनाव हेतु उन्हें साथी स्टूडेंट्स ने काफी मोटिवेट किया है जिसके बाद ही वह चुनावी मैदान में उतरी है. चुनाव के विषय में निकिता का कहना है कि महारानी कॉलेज में अधिकतर छात्राएं गांव से तालुकात रखती है और वह कई प्रकार की समस्याएं रोज फेस करती है. जिन्हें मुझसे ज्यादा कोई नहीं जानता. मैं उनकी समस्याओं पर काम करना चाहती हूं.
तौहिद खान
जयपुर के आमेर की रहने वाली तौहिद की मां आंगनवाड़ी में एक कार्यकर्ता है और उनके पिता एक होमगार्ड है. तौहिद ने बताया है कि उनकी बड़ी बहन पहले ही महारानी कॉलेज से चुनाव लड़ चुकी है और बड़ी बहन ने ही उन्हें चुनावी मैदान में उतरने के लिए मोटिवेट किया है. तौहिद का कहना है कि चुनाव के विषय में वह अपनी बहन से ही टिप्स ले रही है और कॉलेज में रेगुलर क्लास को लेकर हमेशा बनी रहने वाली समस्या में वह उसे रेगुलर करने का प्रयास करना चाहती है.
सानिया सैनी
जयपुर के शास्त्री नगर के रहने वाली सानिया सैनी का कहना है कि उनके पिता इवेंट का काम करते हैं. वह वर्तमान में महारानी कॉलेज में b.a. सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही है. सानिया ने कहा है कि उनके पिता अपना काम धंधा छोड़कर कैंपेनिंग में उनकी सहायता कर रहे हैं ताकि उनकी बेटी कॉलेज में अध्यक्ष बन सके. सानिया कहती है कि उनकी मम्मी भी कैंपेनिंग में उनका साथ दे रही है और जब भी उन्हें टाइम मिलता है तो वह कॉलेज आते हैं. सानिया कहती हैं कि मेरे साथ तकरीबन 50 लड़कियों की टीम है और लड़कियों को शिक्षा मुफ्त कराना मेरा मुख्य उद्देश्य रहेगा.