हमारे देश में इस बात पर गहरी चर्चा है कि रेलवे का लगातार निजीकरण हो रहा है और यह कई बड़ी कंपनियों को सुपुर्द किया जा रहा है. लेकिन सरकार हमेशा ही इस बात से गहरा इंकार कर देती है और कई ट्रेनों को घाटे में बताते हुए दूसरी कंपनियों को सुपुर्द करने की बात कहती है.
लेकिन सरकार के इनकार के बावजूद भी ऐसा देखा जा रहा है कि धीमे धीमे कई व्यवस्थाओं को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. इस कड़ी में पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम में भी गहरे बदलाव देखे जा रहे हैं. पिछले कुछ समय से देखा गया है कि रेलवे ने अब महज 1 साल से ऊपर उम्र वाले बच्चे का भी पूरा किराया वसूलना शुरू कर दिया है.
ऐसे में अब माना जा रहा है कि टिकट काउंटर बंद करके भी इसे प्राइवेट हाथों में दिया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सुझाव पर एक फर्म को भी नियुक्त किया गया है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है. जब इस प्रकार की कोशिश हो रही है. इससे पहले भी रेलवे ने रिजर्वेशन को बंद करने का फैसला किया था लेकिन विरोध के चलते इसे आगे नहीं बढ़ाया गया.
लेकिन अब कहा जा रहा है कि देर सबेर सरकार कभी भी रिजर्वेशन काउंटर को निजी हाथों में सौंप सकती है. इसके पीछे यह वजह बताई जा रही है कि रेलवे के लिए अब स्वयं का खर्चा ही बहुत ज्यादा है और आमदनी उस हिसाब से नहीं है. इन पर अधिकांश कर्मचारी पुराने ही बैठते हैं जिनकी सैलरी तकरीबन डेढ़ लाख रुपए महीने होती है.
इस विषय में संसद की रेल से संबंधित एक समिति की रिपोर्ट की मानें तो साल 2019–20 में ऑनलाइन बुक किए गए टिकटों की संख्या टिकट रिजर्वेशन काउंटर से खरीदे गए टिकटों की तुलना में 3 गुना अधिक है. यानी कि साफ जाहिर होता है कि यात्रियों का रूख अब ऑनलाइन टिकट की तरफ बढ़ रहा है. इससे रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर लगातार भीड़ कम हो रही है और इन्हें चलाना भी अब रेलवे के लिए फायदे का सौदा नहीं है. अर्थात रेलवे अब इन्हें बंद करने अथवा निजी हाथों में सौंपने के साथ दलालों की समस्या से भी छुटकारा पा सकेगा.
रेल मंत्रालय का क्या कहना है –
इस विषय के हर पहलू को रेल मंत्रालय ने इंकार कर दिया है. वहीं मंत्रालय के प्रवक्ताओं का भी कहना है कि रेलवे की टिकट बंद करने की कोई योजना नहीं है. हालांकि रेलवे ने ठेके पर जनरल टिकट काटना तो पहले ही शुरू कर दिया है अर्थात जनरल टिकट खरीदने के लिए अब यात्रियों को रेलवे स्टेशन से बुकिंग केंद्र जाने की आवश्यकता नहीं है. वहीं सूत्रों का लगातार यह कहना है कि रेलवे इस योजना पर लगातार अमल कर रहा है और कभी भी इसे लागू किया जा सकता है.