राजस्थान हाई कोर्ट : 29 अगस्त 2022 को राजस्थान हाईकोर्ट 73 वर्ष का हो गया. इसका उद्घाटन 19 अगस्त 1949 को जोधपुर में किया गया था. उस समय चीफ जस्टिस के अलावा वहां 11 जज मौजूद थे और वर्तमान में इस में जज के 50 पद स्वीकृत हैं लेकिन बड़ी संख्या में यह पद रिक्त चल रहे.
इस लंबे सफर के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने कई मामले सुलझाए हैं लेकिन तब से लेकर अब तक मामलों में कमी की बजाय लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. हालांकि हाईकोर्ट ने काफी लंबा सफर तय कर लिया है और हाई कोर्ट के मुख्य पीठ पुराने से नए भवनों में पहुंच गई है .लेकिन मुकदमों की संख्या कम होने का नाम नहीं लेती. हाईकोर्ट में वर्तमान समय में भी 6 लाख 11 हजार 154 मामले लंबित चल रहे हैं.
कैसे हुई स्थापना ?
आजादी के बाद 30 मई 1949 को ग्रेटर राजस्थान की स्थापना हुई थी. उस समय जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, उदयपुर और अलवर में स्टेट हाई कोर्ट संचालित हो रहे थे. 29 अगस्त 1949 को राजस्थान हाईकोर्ट ऑर्डिनेंस पास हुआ और जोधपुर में इस हाईकोर्ट का उद्घाटन किया गया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केके वर्मा को राजस्थान हाई कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ दिलाई गई थी. वहीं केके वर्मा के साथ ही 11 अन्य जजों को भी यहां शपथ दिलाई गई थी. जिसके बाद मुख्य पीठ जोधपुर में रखी गई और जोधपुर, उदयपुर, कोटा और बीकानेर में इसकी बैंच स्थापित की गई.
कुछ ही समय बाद के के वर्मा को करना पड़ा रिटायर?
गौरतलब है कि 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और राजस्थान को बी श्रेणी राज्य माना गया. ऐसे में यहां पर जजों की संख्या छह तक ही सीमित कर दी गई और उसके बाद चीफ जस्टिस केके वर्मा सहित पांच जजों को संविधान लागू होने से पहले रिटायर कर दिया गया.
जिसके बाद 1 जनवरी 1951 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज केएन वांचू चीफ जस्टिस बनाए गए. और केएन वांचू इस पद पर 10 अगस्त 1958 तक रहे. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट में केएन वांचू पहले ऐसे चीफ जस्टिस रहे जिन्होंने लगातार 7 साल तक कमान संभाली.
समाप्त की गई बीकानेर, कोटा और उदयपुर बेंच ?
22 मई 1950 को राजस्थान हाईकोर्ट की उदयपुर, बीकानेर और कोटा बेंच को समाप्त कर दिया गया. जबकि जयपुर बेंच को जारी रखा गया. इसके बाद 1958 में जयपुर बेंच को भी समाप्त कर दिया गया. लेकिन 31 जनवरी 1977 को जयपुर बेंच फिर से गठित हुई.
तमाम उलट फेरों के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में अब तक 240 जज रह चुके हैं. जिसमें से 40 चीफ जस्टिस और 200 जज शामिल है. इन 40 चीफ जस्टिस में से 23 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया और इनमें से आठ राजस्थान के ही थे.
इस लंबे सफर को अब लगभग 73 वर्ष हो चुके हैं लेकिन फिर भी यहां लाखों की संख्या में मामले लंबित दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि यहां कुल मामलों में 4,47,696 सिविल श्रेणी के 1,63,458 मामले क्रिमिनल श्रेणी के है.