राजस्थान के इन छोटे स्टेशनों का होगा कायापलट : यहां भी मिलेगी अब तमाम लग्जरी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं

उत्तर पश्चिम रेलवे जोन : पिछले कुछ समय पहले भारतीय रेलवे बोर्ड ने उत्तर-पश्चिम रेलवे के कई स्टेशनों का कायापलट कराने का फैसला किया था और अब कई स्थानों पर यह कार्य शुरू भी हो चुका है. बता दें कि इसके लिए उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के कुल 9 स्टेशन को चिन्हित किया गया और इसमें राजस्थान के साथ और हरियाणा के दो स्टेशन शामिल है.

अगर इनके बारे में विस्तार से चर्चा करें तो इनमें किशनगढ़ (अजमेर) रेलवे स्टेशन, भगत की कोठी (जोधपुर) रेलवे स्टेशन, अलवर रेलवे स्टेशन, बांदीकुई रेलवे स्टेशन, भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन, श्री गंगानगर रेलवे स्टेशन, फुलेरा रेलवे स्टेशन के अलावा रेवाड़ी और हिसार (हरियाणा) रेलवे स्टेशन शामिल है.

इन सभी स्टेशन को मध्य प्रदेश राज्य के हाल ही में रिन्यू किए गए रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की तर्ज पर विकसित किया जाना है. इससे पहले उत्तर पश्चिम रेलवे बोर्ड ने 9 स्टेशन के लिए डेवलपमेंट को मंजूरी दी और कुल मिलाकर 18 स्टेशनों को कायाकल्प करने की बात कही जा रही है.

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पहले इस कार्य के लिए रेलवे ने जयपुर, अजमेर, बीकानेर समेत कई बड़े स्टेशनों का चयन किया गया था. अब उन पर जमीनी स्तर का काम भी शुरू हो गया है और अब इन छोटे स्टेशनों को रीडेवलपमेंट किया जाना भी शामिल कर लिया गया है. इस संबंध में उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकिरण ने कहा है कि 9 स्टेशन की सूची बनाकर रीडिवेलपमेंट के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेज दिया गया है और इससे पहले 9 स्टेशनों के पुनर्विकास की मंजूरी भी रेलवे बोर्ड से मिल गई थी.

गौरतलब है कि चयनित किए गए इन सभी स्टेशन पर मध्य प्रदेश के रानी कमलापती रेलवे स्टेशन की तर्ज पर वर्ल्ड क्लास सुविधाओं का विकास किया जाएगा. जिनमें पूरे रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने के साथ ही साथ उसे पूरा एयर कंडीशन बनाया जाएगा. यहां यात्रियों के बैठने के लिए बड़े एयर कंडीशन हॉल विकसित होंगे. साथ ही यहां लिफ्ट और एक्सीलेटर की सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी.

केवल इतना ही नहीं अब इन रेलवे स्टेशन में आपको आगामी समय में होटल, रेस्टोरेंट और शॉपिंग की सुविधाएं भी मिलेंगी. तमाम सुविधाएं विकसित होने के बाद इन स्टेशन पर किराया भी उसी अनुपात में बढ़ेगा. हालांकि समस्त विकास कार्यक्रम पूरे होने में अभी काफी समय लगेगा. लेकिन अगर सभी कार्य योजना अनुरूप चलते रहे तो आगामी 4 से 5 सालों में यह कार्य पूरा हो जाएगा.

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