राजस्थान बाड़मेर : दिव्यांग पिता ने बेटी को पढ़ाकर बनाया SI, कंधों पर सितारे लगा माँ-बाप को किया सैल्यूट

प्रेरणा राजस्थान न्यूज़ :– कहते हैं अगर सपनों में जान हो तो समस्त चुनौतियां हल्की लगने लगती है. इसी बात को सच कर दिखाया है राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव की रहने वाली बेटी लक्ष्मी ने. लक्ष्मी सरहदी बाड़मेर के छोटे से गांव मंगले की बेरी की रहने वाली है. उनकी जिंदगी शुरुआत से ही बेहद संघर्ष भरी रही है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी.

बता दें कि लक्ष्मी के राय चंद्र नेत्रहीन है और वह दो भाइयों की इकलौती बहन है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं रही और चारों तरफ सामाजिक प्रताड़ना के चलते उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन अब उन्होंने सब इंस्पेक्टर बन के अपने पूरे परिवार का नाम रोशन किया है. 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद ही उन्होंने पुलिस भर्ती की परीक्षा दी और साल 2011 में वह कॉन्स्टेबल के लिए चयनित हुई.

लक्ष्मी कहती है कि नौकरी के बाद भी उन्होंने अपने शिक्षा को बनाए रखा और अपनी स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने m.a. की पढ़ाई की. इसके बाद भी उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी और कांस्टेबल बनने के बाद उन्होंने इंस्पेक्टर बनने की ठान ली. लक्ष्मी बताती है कि नौकरी के साथ जब वह पढ़ाई कर रही थी तब उन्हें अक्सर यह ताने मिलते थे कि क्या वह अफसर बनने के सपने देख रही है?

लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं आ रही और 9 साल लंबे संघर्ष और मेहनत के बाद भी अब लक्ष्मी का चयन राजस्थान कॉन्स्टेबल से सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया है लक्ष्मी ने हाल ही में अपनी सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग पूरी की है और दीक्षांत समारोह में अपने कंधे पर दो सितारे लगाए हैं. सब इंस्पेक्टर की वर्दी पहनने के बाद लक्ष्मी जब पहली बार घर आयी तो उन्होंने अपने मां और पापा को सैल्यूट किया और उनके पूरे परिवार ने सब खुशी उनका अभिवादन किया.

मेघवाल समाज की बेटी बनी पहली सब इंस्पेक्टर

यह इसलिए भी खास है क्योंकि लक्ष्मी बाड़मेर के मेघवाल समाज की रहने वाली है और वह अपने समाज की पहली महिला इंस्पेक्टर बनी है. इस दौरान जब वह सब इंस्पेक्टर बन कर अपने घर आई तो उनके पूरे परिवार में खुशी की लहर छा गई. क्योंकि लक्ष्मी ने न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे समाज का नाम रोशन किया है.

और उन सभी बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है जो सामाजिक कुरीतियों के चलते पिछड़ जाती है. एक जमाने में झोपड़ी में रहने वाली लक्ष्मी ने कभी हार नहीं मानी और वह पहली सदस्य बनी जिन्होंने कॉन्स्टेबल से शुरुआत करके अब थानेदार तक का मुकाम हासिल किया है.

लक्ष्मी की कहानी सभी लड़कियों को यही प्रेरणा देती है कि वह जिस भी क्षेत्र से तालुकात रखती है अगर उनके सपनों में जान है तो वह कभी भी हिम्मत ना हारे. और लगातार आगे बढ़ती रहें. अगर हम लगातार मेहनत करते हैं तो समस्त चुनौतियां हमें छोटी लगने लगती है और संघर्ष के बाद सफलता अवश्य मिलती है.

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