15 अगस्त 1947 को फहराया गया पहला तिरंगा राजस्थान के इस गांव में बना था, जिसने लाल किले की शान बढ़ाई

हमारे देश को आजाद हुए अब 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं. और कुछ ही समय पहले हमने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास के साथ मनाई है. इस वर्ष 75 वीं वर्षगांठ में हर कोई व्यक्ति जश्न में डूबा हुआ दिखाई दिया और लगभग हर व्यक्ति ने अपने घर पर तिरंगा लगाकर देश को सम्मान प्रशस्त किया.

जैसा कि हम सभी जानते हैं अब से ठीक 75 साल पहले अर्थात् 15 अगस्त 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ था. तब सबसे पहले लाल किले पर तिरंगा फहरा कर आजादी की घोषणा की गई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं लाल किले पर आजादी के तत्कालीन बाद फहराया गया तिरंगा राजस्थान में बना था और यहीं से उसे लालकिले तक ले जाया गया था.

तो आइए जानते हैं देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 15 अगस्त 1947 को फहराया गई तिरंगे को आखिर किसने बनाया था और वह लाल किले तक कैसे पहुंचा? आपको बता दें कि आजादी से पहले ही राजस्थान के दौसा जिले में कई बुनकर कपड़ा बनाने का काम किया करते थे. और यहां के बुनकर कपड़ा बुनाई के मामले में काफी प्रसिद्ध थे.

जैसे ही वर्ष 1947 में देश आजाद हुआ और पूरे देश में जश्न का माहौल था तब लाल किले पर तिरंगा फहराने के लिए भी दौसा से ही इसे ले जाने का निर्णय किया गया. बता दें कि दौसा से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर आलूदा गांव में रहने वाले चौथमल बुनकर ने इस तिरंगे का कपड़ा तैयार किया था.

jawahar lal nehru with indian flag

चौथमल बुनकर द्वारा जो कपड़ा तैयार किया गया था उस कपड़े को स्वतंत्रता सेनानी देशपांडे और टाट साहब द्वारा गोविंदगढ़ ले जाया गया. गोविंदगढ़ में ही इस कपड़े को तिरंगे का रुप दिया गया और उसके बाद इसे दिल्ली ले जाया गया.

जिसके बाद बताया जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस तिरंगे को लाल किले पर फहराया था. जो कि दौसा के चौथमल बुनकर द्वारा तैयार किया गया था. हालांकि उसके बाद यह बात भी सामने आ रही थी कि 15 अगस्त 1947 को देश के अलग-अलग हिस्सों से चार तिरंगे बनवाकर तैयार किए गए थे.

लेकिन आजादी के समय पर चौथमल बुनकर को ही विशेष तौर पर याद किया जाता है. हालांकि इस बात की पूरी तरह से पुष्टि कभी नहीं हो पायी कि इन 4 तिरंगों में से कौन सा तिरंगा पहनाया गया था? लेकिन माना यही जाता है कि जो तिरंगा लाल किले पर फहराया गया था वह दौसा के चौथमल बुनकर द्वारा ही तैयार किया गया था.

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उस वक्त उन 4 तिरंगों में से कोई भी एक तिरंगा उठाकर फहराया जाना था. ऐसे में इस बात की पुष्टि की जाना थोड़ा सा असंभव प्रतीत हो रहा था कि कौन सा तिरंगा किसने तैयार किया है? क्योंकि सभी दिखने में एक जैसे ही प्रतीत हो रहे थे.

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