राजस्थान : महंगाई के इस दौर में जहां कई गरीबों की रोजी रोटी प्रभावित हुई है वहीं राजस्थान में कुछ ऐसी जगहें भी है जहां ₹1 में भरपेट खाना मिल रहा है. यह सुनकर आप शायद ऐसा सोचेंगे कि यह संभव नहीं है लेकिन आपको बता दें कि यह बिल्कुल सच है जहां महज ₹1 में लोगों को भरपेट खाना खिलाया जा रहा है.
बता दें कि जवाहर फाउंडेशन की तरफ से ‘कोई भी भूखा ना सोए’ इस तर्ज पर राजस्थान के चार स्थानों पर महज ₹1 में भरपेट खाना दिया जा रहा है जिसका नाम स्वाभिमान भोज है. यहां खाना खाने वालों की भीड़ लगी रहती है और यह योजना कई लोगों के लिए वरदान के रूप में उभर कर आई है. बता दें कि वर्तमान में यह बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, अजमेर और जयपुर इन चार स्थानों पर संचालित हो रही है.
किसने की इसकी शुरुआत?
इस विषय में जवाहर फाउंडेशन से जुड़े और स्वाभिमान भोज का काम देख रहे रजनीश कुमार ने कहा कि कपड़ा उद्योग से जुड़े आरएसडब्ल्यूएम लिमिटेड में चेयरमैन रिजु झुनझुनवाला की पहल से इसकी शुरुआत की गई है. रजनीश कुमार ने बताया कि जवाहर फाउंडेशन में कई समाज सेवा के लिए काम किए जाते हैं.
एक दिन रिजू झुनझुनवाला ने पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर की जन रसोई को विजिट किया था. जहां इसी तर्ज पर खाना खिलाया जाता था. वहीं से उन्हें इसके लिए आइडिया आया और उन्होंने सीएसआर एक्टिविटी के तहत स्वाभिमान भोज की शुरुआत की. जिसके बाद इसकी शुरुआत सबसे पहले 16 अगस्त 2021 को भीलवाड़ा में की गई थी. और उसके बाद 13 अक्टूबर 2021 को अजमेर में और 4 मई 2021 को जयपुर में और बांसवाड़ा में कैंटीन खोले गए.
साल के अंत तक 10 स्थानों पर खोले जाने हैं इस प्रकार की कैंटीन
अब दिसंबर 2022 तक राजस्थान की कुल 10 जगहों पर इस प्रकार के कैंटीन खोलने का मकसद बनाया गया है. इस विषय में रजनीश कुमार ने कहा कि राजस्थान सरकार ने भी एक शुरुआत की है कि कोई भी भूखा ना सोए. और इसी का सपोर्ट करते हुए उन्होंने स्वाभिमान भोज की शुरुआत की है. यह कैंटीन फैक्ट्री, हॉस्पिटल और स्लम एरिया के पास ही खोली जाती है ताकि गरीबों को आराम से पेट भर खाना मिल सके.
क्यों लिया जाता है ₹1
यहां एक रुपए की थाली में तीन रोटी, चावल और एक तरह की सब्जी दी जाती है. रजनीश कुमार ने कहा कि यहां ₹1 लेने का पीछे का मकसद यही है ताकि थाली की काउंटिंग हो सके और इस बात का हिसाब लगाया जा सके कि कितने लोगों ने लाभ उठाया है? साथ ही वे ₹1 देकर स्वाभिमान से खाना खा सकते हैं ताकि उन्हें यह कभी न लगे कि वह फ्री का खाना खा रहे हैं.