जयपुर : जयपुर में एक विशेष प्रकार की पहल ‘बेजुबानों की रसोई’ की शुरुआत की गई है. जिसमें आवारा कुत्तों के लिए ₹5 में गरमा गरम भोजन परोसा जा रहा है. इस नेक पहल की शुरुआत गजराज ने की है जो बताते हैं कि पिछले 2 सालों से वह अपने 10 से 12 लोगों की टीम के साथ कुत्तों को गरमा गरम पका हुआ खाना खिलाते हैं. और इसकी शुरुआत उन्होंने लॉकडाउन के दौरान की थी.
गजराज कहते हैं कि ऐसे कई लोग हैं जो जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं. यहां प्रदेश की गहलोत सरकार ने भी गरीबों के लिए बेहद सस्ते में खाने की व्यवस्था की हुई है. लेकिन उन बेजुबान जानवरों का क्या जो भूखे तो होते हैं लेकिन अपना दर्द बयां नहीं कर सकते!
कैसे हुई इस पहल की शुरुआत?
ऐसे में गजराज और उनकी टीम ने इन बेजुबानों की सहायता करने का निर्णय लिया है और इस विशेष पहल की शुरुआत की है. गजराज कहते हैं कि कुत्ते अक्सर डस्टबिन के पास बचा हुआ खाना खाते हैं लेकिन लॉकडाउन के दरमियान सभी रेस्टोरेंट बंद होने के कारण इन कुत्तों को वह खाना भी नहीं मिल रहा था. तभी उन्होंने आवारा कुत्तों को नियमित रूप से ताजा पका खाना खिलाना शुरू किया.
विशेष पोषक तत्वों को मिलाकर बनाते हैं भोजन
अब इस विशेष पहल में गजराज कुत्तों के लिए महज ₹5 में खाना दे रहे हैं. इसके लिए वे भोजन में मल्टीविटामिन दवाओं के साथ ही साथ पनीर, सोयाबीन, चावल और अंडे भी मिलाते हैं. वे बताते हैं कि पनीर और अंडे प्रोटीन के लिए होते हैं. वही चावल का पानी कुत्तों को लंबे समय तक हाइड्राडेट रखने में मदद करता है. क्योंकि इन आवारा कुत्तों को खाने के साथ ही साथ पानी की व्यवस्था भी नसीब नहीं हो पाती. ऐसे में चावल पानी का एक अच्छा स्त्रोत है.
मांस की जगह शामिल किया गया है अंडे को
कुत्तों को मांस काफी ज्यादा पसंद होता है लेकिन यहां मांस की जगह अंडे को शामिल किया गया है. क्योंकि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो मांस को हाथ नहीं लगाते हैं इसीलिए उन्हें कुत्तों को मांस परोसने में दिक्कत हो सकती है. गजराज कहते हैं कि इस सुविधा के वह ₹5 इसीलिए ले रहे हैं क्योंकि जिस प्रकार के कंटेनर में यह खाना पैक किया जाता है उसकी कीमत 4.5 रुपए है ऐसे में ₹5 से वह कंटेनर की कीमत वसूल पा रहे हैं.
किसी से भी नहीं ले रहे दान या डोनेशन
बता दें कि इस पहल के चलते गजराज किसी भी व्यक्ति से दान या और डोनेशन नहीं ले रहे हैं. उनका कहना है कि दान में लोग सोचते हैं कि अब उनका काम हो गया है. लेकिन मैं चाहता हूं कि लोग बाहर जाकर खुद आवारा कुत्तों को यह खाना खिलाए. ताकि इससे मिलने वाली असल खुशी का उन्हें एहसास हो सके.