राजस्थान : हमारे देश में आपको लगभग हर शहर में कई प्रकार के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर मिलते हैं जहां भक्ति साधना के साथ ही साथ पूरे एक युग का बखान होता हुआ सा प्रतीत होता है. जहां उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक आपको हजारों मंदिर मिल जाते हैं और यहां बहुतायत हजारों लोग दर्शन हेतु पहुंचते हैं.
इन मंदिरों में एक कॉमन बात यह है कि यहां हर मंदिर में किसी न किसी देवी अथवा देवता की पूजा होती है. लेकिन आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जो किसी देवी अथवा देवता को नहीं बल्कि एक व्यक्ति विशेष को समर्पित है. दरअसल हम चर्चा करने जा रहे हैं राजस्थान के झुंझुनू में स्थित ‘रानी सती मंदिर’ के बारे में, जो अपनी विशेष खूबियों के चलते देश भर में खूब प्रचलित है.
क्या है इस मंदिर का इतिहास ?
अगर मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसका निर्माण तकरीबन 400 साल पहले हुआ था. मंदिर के प्रमाणों के अनुसार इस मंदिर की देवता रानी सती है, जो कि एक राजस्थानी महिला रानी थी. रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी बताया जाता है.
यहां प्रचलित कहानियों के अनुसार एक युद्ध के दौरान नारायणी देवी के पति की मौत हो जाती है. जिसके बाद नारायणी देवी भी अपने पति के पीछे सती हो जाती है. धीमे-धीमे लोग इन्हें आदि शक्ति का रूप मानने लगे और रानी सती के रूप में यहां इनकी पूजा होने लगी. जिसके बाद इस मंदिर को रानी सती का नाम ही दे दिया गया.
बता दें कि पुराने जमाने में लगभग सभी राजस्थानी राजपूत राजघरानों में यह प्रावधान था कि जब किसी राजा की मृत्यु हो जाती थी तो उनकी रानियां अपने पति की चिता के साथ ही जिंदा जल जाती थी. इनमें से कुछ महिलाएं अपनी मर्जी से अपने प्राण त्यागती थी तो कुछ को जबरदस्ती ऐसा करने पर मजबूर कर दिया जाता था.
इस मंदिर की भव्य वास्तुकला और सुंदरता के साथ ही साथ यहां कई प्रकार से विशेष बनावट भी सजाई गई है. बता दें कि मंदिर परिसर में आपको शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, सीता मंदिर, ठाकुर जी मंदिर के साथ भगवान गणेश के मंदिर की झांकियां भी मिलती है.