Rajasthan: मेडिकल प्रवेश परीक्षा 2022 अर्थात् नीट के हाल ही में रिजल्ट जारी किए गए हैं. जिसमें हमारे सामने कई प्रकार की संघर्ष की कहानियां उभर कर आ रही है. जो बेहद प्रेरणादायक है साथ ही हजारों स्टूडेंट को कभी हिम्मत ना हारने की सीख देती है.
इन्हीं कहानियों में एक कहानी है राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले फताराम की जिन्होंने इस परीक्षा में 24,521 रैंक का हासिल की है. भले ही फताराम की मेरिट लिस्ट में कई हजार विद्यार्थी उनसे आगे हैं लेकिन संघर्ष के मामले में उन्होंने टॉप किया है.
19 वर्षीय फताराम भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित गांव बीजासर के रहने वाले हैं. वह अपने परिवार के साथ एक झोपड़ी में रहते हैं. उन्होंने एक अभी पक्का कमरा बनाया है लेकिन वह भी अधूरा है. क्योंकि उसे पूरा करने के लिए परिवार की आर्थिक क्षमता नहीं है.
अब अपने बेटे का नीट परीक्षा में सिलेक्शन देखकर उनके पूरे परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. यहां सबसे अहम बात यह है कि उन्होंने अपने बेटे को कर्ज लेकर पढ़ाया है. इस विषय में फताराम ने कहा कि उनके परिवार में वह पहले ही ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने इतनी ज्यादा पढ़ाई की है. परिवार के अन्य सभी लोग खेती और मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं.
फता राम कहते हैं कि वह चाहते तो आईएएस आईपीएस बनने का सपना देख सकते थे. लेकिन उनके विकलांग पिता ने उन्हें डॉक्टर बनाने की इच्छा जाहिर की. क्योंकि तकरीबन 15 साल पहले उनके पिता ऊंट गाड़ी से गिर गए थे. तब एक डॉक्टर ने ही उनकी जान बचाई थी. ऐसे में उनके पिता हमेशा से ही अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहते थे.
फताराम कहते हैं कि गांव में एक संस्था है जो विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई का अच्छा माहौल बनाती है. और इस संस्था की बिल्डिंग में गांवों के सभी विद्यार्थी 5 घंटे तक पढ़ाई कर सकते है. यहां विद्यार्थियों को सोशल मीडिया से दूर रखा जाता है. ताकि वे ध्यान लगाकर पढ़ाई कर सकें. फताराम ने कहा कि जब उन्होंने दसवीं परीक्षा पास की तो उन्होंने 90% अंक प्राप्त किए. तब से ही उन्होंने ठान लिया कि अब वह पढ़ लिख कर नीट परीक्षा की तैयारी करेंगें. क्योंकि उनके परिवार के आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी जिसके चलते उनके पिता को अपने बेटे की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए लोन लेना पड़ा था.