अजमेर के भूतिया हलवाई की दुकान पर बनाया करते थे भूत मिठाईयां, बेहद रोचक है इसके पीछे की कहानी

राजस्थान, अजमेर :– राजस्थान के मुख्य शहरों में से एक अजमेर विश्व पटल पर एक अलग पहचान रखता है. यहां की विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह हो या फिर यहां की सुंदर अरावली की पहाड़ियां हो हर कोई लोगों के बीच खूब लोकप्रिय है. यहां हर कोई अपनी दिल्ली तमन्ना पूरा करने के लिए दूर दराज से यात्रा करके आता है. वही यहां के स्वाद के चटकारे भी इतने पॉपुलर है कि लोगों को यहां चलकर आना ही पड़ता है.

यूं तो अजमेर में सैंकड़ों ऐसी दुकानें और रेस्टोरेंट है जो अपने स्वाद के चलते खूब पॉपुलर है लेकिन अजमेर में एक मिठाई की दुकान ऐसी भी है जो हमेशा से ही अपने अलग पन की वजह से जानी जाती है.

दरअसल यहां चर्चा हो रही है अजमेर के भूतिया हलवाई की दुकान के बारे में, जो अजमेर शरीफ के पास ही स्थित है. इसके विषय में कहा जाता है कि यहां रातो रात भूत मिठाई बना कर चले जाते थे.

बेहद रोचक है इसके पीछे की कहानी

यह दुकान आज से नहीं बल्कि ब्रिटिश काल से ही संचालित हो रही है और अलवर गेट नसीराबाद रोड पर स्थित है. बताया जाता है कि इसकी शुरुआत 1933 में हुई थी और रातों-रात ही इस दुकान के मालिक की किस्मत कुछ यूं चमकी कि यह लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हो गए.

कैसे बनी भूतिया हलवाई की दुकान ?

इस दुकान के संस्थापक मूल रूप से मथुरा के निवासी थे जिनका नाम लाल जी मूलचंद था. उस वक्त देश में यह नियम हुआ करता था कि ब्रिटिश शासन के तहत हर दुकाने 5:00 बजे ही बंद हो जाया करती थी.

वहीं इस दुकान के पीछे ही एक रेलवे स्टेशन था और शाम होते ही यहां खूब सन्नाटा पसर जाता है. जिसके बाद से ही लोग इस क्षेत्र को भूतिया इलाका कहने लगे. क्योंकि 5:00 बजे के बाद यहां कोई नहीं दिखता था. लेकिन इन दुकान के मालिक को इस बात से मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ता था.

लालचंद जी बाहर से दुकान को बंद कर देते लेकिन रात भर यहां दुकान में मिठाइयां बनाते. जिसके बाद अगले दिन दुकान के बाहर मिठाइयां और पकवान की विभिन्न वैरायटी नजर आती. जिससे लोगों को आश्चर्य होता कि इतनी सारी मिठाइयां आखिर कैसे तैयार होती है!

जिसके बाद से ही लोग कहने लगे कि यहां भूत आकर ही मिठाईयां बनाते होंगे ! लेकिन इन मिठाइयों की समय के साथ इतनी डिमांड बढ़ गई कि इसे खाने वालों की यहां लाइनें लगने लगी. क्योंकि यह अजमेर की पहली ही ऐसी दुकाने रही होगी जो अपने ग्राहकों को इतनी वैरायटी के स्वाद परोसा करती थी. ऐसे में लोगों का यहां इकट्ठा होना तो लाजमी था. समय के साथ ही लोगों ने इसका नाम बदल कर इसे भूतिया मिठाई की दुकान ही पुकारना शुरू कर दिया और तब से ही इसका नाम यही पड़ गया.

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