Rajasthan: वर्तमान समय में प्राकृतिक ईंधन पर बढ़ते दबाव के चलते यह साफ जाहिर है कि हमें विद्युत निर्माण के विभिन्न अन्य तरीकों पर काम करने की आवश्यकता है. ऐसे में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों पर गहराई से अध्ययन किया जा रहा है. वहीं अब सीवरेज हेतु लगाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(STP) से जमा होने वाले स्लज से भी 100 किलोवाट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा. जिसकी शुरुआत जयपुर के बाद भीलवाड़ा में हो रही है.
इस विद्युत उत्पादन से प्लांट में लगने वाली विद्युत लाइनों के साथ ही साथ प्लांट भी चल सकेगा. बता दें कि यहां कोठारी नदी के पास स्थित STP हेतु 30 MLD सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट के संचालन का काम शुरू होते ही इस स्लज से निकलने वाली गैस से 100–100 किलोवाट में लगने वाले प्लांट से बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा.
इस कार्य को आगे बढ़ाने हेतु आरयूआईडीपी ने तीन प्लांट लगा दिए हैं और इनमें से दो प्लांट लगातार काम करेंगे. अर्थात् ये प्लांट कुल 24 घंटे तक क्रियाशील होंगे. जबकि तीसरा प्लांट वैकल्पिक तौर पर होगा जो किसी आपातकालीन स्थिति में सहयोग कर सकेगा.
किस प्रकार से होगी बिजली की बचत?
बता दें कि यहां नए प्रोजेक्ट के तहत सीवरेज के पानी और स्लज को एक टैंक में डालकर यहां से निकलने वाली गैस के गुब्बारे के जरिए इंजन में पहुंचाया जाएगा और इस क्रिया में सीवरेज के पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड कम हो जाएगी. और यहां इसके इस्तेमाल में होने वाली बिजली की डिमांड भी घट जाएगी.
इस विषय में कुछ आंकलन की मानें तो इस प्रोजेक्ट में से इस समय खर्च हो रही बिजली की खपत भी बेहद कम होगी और यहां नयी बिजली भी तैयार हो सकेगी. जिसका इस्तेमाल इस प्लांट को चलाने में किया जा सकेगा. अनुमान है कि इस प्रक्रिया के जरिए यहां तकरीबन 4800 यूनिट बिजली प्रतिदिन बन सकेगी.
इस विषय में विभाग का दावा है कि यह प्लांट राजस्थान के जयपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्लांट होना है. हालांकि कोटा और बीकानेर भी इस तरह के कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है लेकिन पहले ही इसकी शुरुआत भीलवाड़ा में होने जा रही है.