देश का पहला राज्य राजस्थान जहां लागू होने जा रही है ‘ग्रीन हाइड्रोजन नीति’ : क्या है खासियत ?

राजस्थान, ग्रीन हाइड्रोजन नीति :— हाल ही में आयोजित जेइसीसी में इन्वेस्ट राजस्थान समिट के अंतर्गत आयोजित आयोजित फ्यूचर रेडी सेक्टर कॉन्क्लेव एक्सप्लोरिंग इन्वेस्टमेंट इन फ्यूचर रेडी सेक्टर को संबोधित करते समय उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा है कि राजस्थान देश का पहला प्रदेश बनने जा रहा है जो ग्रीन हाइड्रोजन नीति को लागू करेगा.

यहां शंकुतला रावत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में अक्षत ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देखी गई है और अब राजस्थान सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर दिया जा रहा है और सरकार की नीतियों द्वारा उद्योगों द्वारा दिए गए सुझाव और फीडबैक के आधार पर उचित कार्यवाही भी की जा रही है. और राज्य सरकार उद्यमों को साथ लेकर चलती है.

इसके साथ ही यहां भारत सरकार के डीपीआईआईटी विभाग के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि राजस्थान में 10 लाख करोड़ के एमओयू करना और उसमें से दो लाख करोड़ का क्रियान्वयन करना एक सराहनीय उपलब्धि है. और निवेशकों से राजस्थान में निवेश करने का आह्वान किया जाता है जिससे कि प्रदेश में मौके बढ़ सके.

क्या होती है ग्रीन हाइड्रोजन?

चारों तरफ बढ़ रहे प्रदूषण और देखे जा रहे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन नीति एक कारगर कदम माना जा सकता है. अब अगर बात करें कि ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

बता दें कि यह एक प्रकार की स्वच्छ ऊर्जा है. जोकि नवीनीकरण ऊर्जा जैसे कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटने से पैदा होती है. यहां बिजली जब पानी से होकर गुजरती है तो यहां हाइड्रोजन पैदा होती है. क्योंकि यहां विद्युत अपघटन की प्रक्रिया होती है. अब यहां उत्पन्न हुई हाइड्रोजन कई चीजों के लिए ऊर्जा का काम करती है. जो कि ऊर्जा के नए स्रोत बढ़ाने में सहायक होती है.

ग्रीन हाइड्रोजन नीति लागू करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चारों तरफ बढ़ रहे प्राकृतिक ईंधन के दबाव को एक तो कम किया जा सकेगा. जिससे कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर ही ऊर्जा उत्पन्न होगी और यह विभिन्न कार्यों में काम ली जा सकेगी.

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