Rajasthan, Milk Fraud :— अगर आप 1 रूपए में 10 लीटर दूध खरीदें, तो वाकई इससे कम दाम आपने कभी नहीं देखे होंगे या फिर सुने होंगे ! अब आप सोच रहे होंगे कि ₹1 में 10 लीटर दूध भला कौन सी भैंस या गाय देती होगी? लेकिन हकीकत कुछ यूं है कि यह दूध गाय या भैंस का नहीं बल्कि डिटर्जेंट, रिफाइंड ऑयल, कास्टिक सोडा और शैंपू जैसी चीजों को मिलाकर तैयार किया जा रहा है. और राजस्थान के कई जिलों में हजारों परिवार यह जहरीला दूध रोजाना पी रहे हैं.
इसमें इतने खतरनाक कैमिकल मिलाए जाते हैं जो कि इंसानी शरीर की लीवर और किडनी को बेहद प्रभावित करते हैं. और इन से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो रही है और यह जानलेवा भी हो सकती हैं.
इस जहर को बनाने का काम यूं तो कई जगहों पर चल रहा है लेकिन मुख्य रूप से राजस्थान के अलवर और भरतपुर के मेवात क्षेत्र में यहां सिंथेटिक दूध बनाने की सबसे ज्यादा प्रक्रिया चल रही है. और इसके चलते यह इस जहरीले दूध का गढ़ बना हुआ है. यहां इस नकली दूध की बड़ी-बड़ी डेरिया लगी हुई है जो आम घरों और मिठाई की दुकानों पर सप्लाई हो रहा है.
इस तरह के स्कैम को हाल ही में दैनिक भास्कर टीम ने गोविंदगढ़ के पास धड़ दबोचा है और भास्कर टीम ने यहां दूध के कई बड़े सप्लायर से इस बारे में जानकारी जुटाई. जहां उन्होंने मालूम किया है कि ₹1 से भी कम लागत में यहां लोग 10 लीटर तक नकली दूध तैयार कर रहे हैं.
जिसे कई प्राइवेट डेयरी में सप्लाई करते हुए यह आम जनता और हलवाई की दुकान तक पहुंचाया जा रहा है. इसे बनाने वाले कई लोगों ने यह भी दावा किया कि चाहे जिस भी लैब में इसे टेस्ट करवा लो यह सामान्य दूध जैसा निकलेगा साथ इस में फैट भी फुल आएगा.
इस तरह से तैयार किया जा रहा है नकली दूध !
यहां नकली दूध बनाने वालों का अगर हम दिमाग देखे तो वाकई हम अपने मुंह में उंगली रख लेंगे ! अगर आप इसे बनाने का तरीका देखेंगे तो एक सैंपल बनाने के लिए एक सप्लायर ने यहां मुंह पर कपड़ा बांधे हुए एक पॉलिथीन में लिक्विड डिटर्जेंट की एक छोटी सी बोतल, आधा लीटर दूध की थैली और पुड़िया में कुछ केमिकल मिलाते हुए एक परात में पहले लिक्विड डिटर्जेंट डाला.
जिसके बाद उसे कुछ देर तक मलता रहा. इसके बाद इसमें थोड़ी मात्रा में रिफाइंड ऑयल डालते हुए इसे फिर से मिलना शुरू किया. कुछ देर बाद ही इस में झाग बनने लगे. हालांकि इस प्रक्रिया में दूध अब तक पूरी तरह से सफेद नहीं हुआ. जिसके बाद वह लगातार अपने हाथ चलाता रहा और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रिफाइंड और मिलाते हुए परात पर हाथ मलता रहा.
करीब 7-8 मिनट बाद उसने दूध की थैली से थोड़ा सा दूध डालना शुरू किया और दूध डालने के बाद ही बरात में सफेद झाग बनने शुरू हो गए. और रिफाइंड ऑयल के जैसे ही दाने ऊपर आते वह उसे लगातार मिलाता रहा. जिससे यह गाढ़ा हो गया. आधे घंटे की इस प्रक्रिया के बाद एक प्लास्टिक की बाल्टी में नल से पानी भरते हुए सारा पानी उसने बाल्टी में मिला दिया. जिसके बाद कुछ पाउडर केमिकल मिलाते हुए यह सारा मिश्रण बिल्कुल दूध तैयार हो गया.
मशीन भी नहीं पकड़ पाती इस दूध के नकली होने की प्रक्रिया को
यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस दूध को लेबोरेटरी में टेस्ट कराने के बावजूद भी इसके नकली होने का मालूम नहीं चल पाता. और भास्कर टीम ने जब इस सैंपल का टेस्ट करवाया तो मशीन ने इसका फैट 9.5 बताया. यह देखने में बिल्कुल बढ़िया फैट वाला दूध दिखता है जो कि बाजार में 65 से ₹70 प्रति किलो की दर से आसानी से बिक जाता है.