जयपुर: राज्य में मानसून में देरी के चलते पानी संकट बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में हालात काफी गंभीर होते प्रतीत हो रहे हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश के बांध सूखते जा रहे हैं. वर्तमान समय में जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 152 बांध सूखे पड़े हैं. स्थिति का मंजर इतना खराब है कि इनमें एक बूंद भी पानी नहीं है.
भले ही राज्य में प्री मानसून से सामान्य से अधिक वर्षा हुई है लेकिन फिर भी यह बांधों को भरने के लिए पर्याप्त बिल्कुल भी नहीं है. ऐसे में बांधों की आगामी स्थिति मानसून की बारिश ही तय कर सकती है. यदि बारिश अच्छी होती है तो ही इनका कल्याण संभव है. रिपोर्ट्स के अनुसार इसका सबसे ज्यादा असर जयपुर और अजमेर की तकरीबन एक करोड़ आबादी पर हो सकता है. जो पानी के लिए मुख्य रूप से बीसलपुर बांध के पानी पर निर्भर है. वहीं देखा जा सकता है कि बीसलपुर बांध में पानी का स्टॉक सामान्य से काफी कम है.
राज्य की मोटा मोटी स्थिती पर नजर डाली जाए तो देखा जा सकता है कि राज्य के 716 बांध में से तकरीबन 494 बांध ऐसे हैं जिनमें या तो पानी बिल्कुल भी नहीं है या पानी की भयंकर कमी है. यहां मुख्य चिंताजनक विषय यह है कि यदि मानसून समय पर नहीं आता है तो इन क्षेत्रों के हालात भी पाली जैसे हो सकते हैं. जहां पर वर्तमान में वाटर ट्रेन के जरिए पानी सप्लाई करना पड़ता है और वहां के निवासियों को तकरीबन छह-सात दिन में एक बार पानी नसीब होता है.
जोधपुर में भी पिछले कुछ समय से वोटर ट्रेन के जरिए ही पानी की सप्लाई हो रही है. अब ऐसे में अगर यही स्थिति बरकरार रहती है तो अगले गर्मियों के सीजन तक यह अंतराल 10 दिन तक बढ़ सकता है. जोधपुर में भी फिलहाल हालत खस्ता है और यहां पर तीन से चार दिन में पानी की सप्लाई हो पाती है. ऐसे में अब सबकी निगाहें केवल मानसून की बारिश पर ही टिकी हुई है. जो राज्य में पानी का भविष्य तय करेगा.