पट्टा :– सरकार जनता को अटके हुए मकानों का पट्टा देना चाहती है. इसके साथ ही जनता भी अपने अटके हुए मकानों का पट्टा लेना चाहती है लेकिन इसके बावजूद यह प्रक्रिया बेहद जटिल चल रही है. इस विषय में मुख्यमंत्री ने दो बार 2 आईएएस अफसरों को फटकार भी लगाई है. लेकिन इसके बावजूद पट्टा अभियान अब तक कई बार रुक चुका है.
अब इस कार्य को सुचारु रुप से पूरा करने के लिए तीसरा चरण 15 जुलाई से चलाया गया है. इस कार्य के लिए निकाय अफसरों और से लगाकर कलेक्टर तक को भी कार्य वहन की जिम्मेदारी दी गई है. कार्य को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए पहले इस कार्य हेतु 213 निकायों का ही टारगेट फिक्स किया गया है.
जिसके तहत घर-घर जाकर सर्वे के फॉर्म भरवाए जा रहे हैं. इसके अलावा जिन घरों का पट्टा नहीं है उनकी भी सूचना एकत्रित की जा रही है. आपको बता दें कि प्रदेश में अब तक 90 हजार लोगों का डाटा इकट्ठा करके भीलवाड़ा इस कार्य में पहले स्थान पर बना हुआ है.
आपको बता दें कि इस कार्य में अब तक राज्य सरकार और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में 73 बार नियमों में बदलाव किया गया है. इसके बावजूद कार्यक्रम प्रशासन शहरों के संग दो बार रुक गया. ऐसे में अबकी बार इस कार्य हेतु 90% तक चार्ज में छूट दी गई है जिसके चलते उम्मीदें लगाई जा रही है कि कार्य का तीसरा चरण संपन्नता की ओर बढ़ेगा.
इस कार्य हेतु 10 लाख पट्टे बांटने का लक्ष्य तय किया गया है लेकिन अब तक 7 लाख पट्टे बांटे जाना शेष है. इस विषय में मंत्री शांति धारीवाल ने भी स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार से हर घर को पट्टे बांटे जाना और उसकी रिपोर्ट देना आवश्यक है. अब यह कार्य किस प्रकार से होगा इसे निकाय अफसर और कलेक्टर संभाले !