हम सभी सुबह-सुबह अपने नाश्ते को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं. हर किसी की दिली ख्वाहिश होती है कि उनके सुबह उठते ही उनके सामने गरमागरम पकवान तैयार हो. हालांकि हर कोई इतना खुश नसीब नहीं होता. लेकिन अजमेर के लोग अपने नाश्ते की शुरुआत हमेशा एक खास जायके से करते हैं.
यहां चटनी के साथ खाई जाने वाली कचोरी को गरमा-गरम कढ़ी के साथ परोसा जाता है जिसके देशभर में दीवाने हैं. हालांकि दूसरों को स्वाद को यह कॉन्बिनेशन थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन यह इतना फेमस है कि यहां उद्योगपति मुकेश अंबानी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक उंगलियां चाटते रह गए थे. खास बात यह है कि यह हर सीजन में चलता है और हर मौसम में यहां खाने वालों की भीड़ उमड़ती रहती है.
खास बात यह है कि यहां कड़ी कचोरी के लिए अपनी बारी का इंतजार करती हुई भीड़ को देखा जा सकता है. हालांकि अजमेर में कड़ी कचोरी का यह जायका कहां से आया इसके बारे में तो कोई जानकारी नहीं है. लेकिन अजमेर शहर के सबसे पुराने कारोबारी में से एक श्रीमान जी कचोरी वाले के संचालक प्रशांत जोशी का कहना है कि कड़ी कचोरी अजमेर की परंपरा बन चुकी है और इसकी शुरुआत 80 साल पहले मानी गई है.
प्रशांत जोशी का कहना है कि शुरुआत में शहर में केवल एक दो दुकानें ही हुआ करती थी लेकिन वर्तमान समय में यहां छोटी-बड़ी तकरीबन एक हजार दुकानें हैं जिन पर रोजाना 2 लाख कड़ी कचोरी बिक रही है. इसके जायके की महक इतनी दूर दूर तक पहुंची है कि कई नामचीन हस्तियां यहां की खास कड़ी कचोरी खाने आती है.
आपको बता दें कि मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी में भी यह कड़ी कचोरी परोसी जा चुकी है. इस दौरान अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियों ने भी इस कड़ी कचोरी की जमकर तारीफ की थी. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी इस कड़ी कचोरी की मुरीद है.
हजारों लोगों के रोजगार का जरिया- अगर मुख्य रूप से देखा जाए तो अजमेर में नया बाजार और वैशाली नगर में श्रीमान जी की कचोरी, गोल प्याऊ पर शंकर चाट, केसरगंज में खंडेलवाल और रामपाल, कडक्का चौक में तेलन बच्ची भाई की कचोरी बेहद फेमस है. इसके अलावा यहां छोटी-बड़ी तकरीबन 1000 दुकानें हैं जिन पर 2 लाख कड़ी कचोरी रोजाना बिकती है.
अगर बात करें कचोरी की कीमत के बारे में तो यहां ₹10 से लगाकर ₹22 तक का चोरियां परोसी जाती है. ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि शहर भर में कचोरी का सालाना कारोबार 50 करोड़ से भी ज्यादा है वहीं इस कारोबार से तकरीबन 5000 मजदूर और कारीगरों को रोजगार मिल रहा है.
Статья представляет анализ разных точек зрения на проблему, что помогает читателю получить полное представление о ней.