जब स्वाद की बात आए और अजमेर के जायके का जिक्र ना किया जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता ! चाहे पुष्कर के मालपुए हो या ब्यावर की तिलपट्टी या फिर नसीराबाद और अजमेर का कचोरा हो या फिर सोन हलवा या कढ़ी कचोरी क्यों ना हो ! सब अपने आप में स्वाद का एक परंपरा सिमेटे हुए हैं.
अजमेर का एक स्वाद ऐसा भी है जिसका नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आना लाजमी है. यह स्वाद तैयार होता है फलों के राजा आम से जिसका अजमेर के हलवाईयों ने कलाकंद बना दिया है. खास बात यह है कि फलों का राजा आम की सबसे बेहतरीन किस्म से तैयार होने वाली यह मिठाई आपको केवल अजमेर में ही मिलती है.
बताया जाता है कि आम का कलाकंद बनाने का सबसे पहला प्रयोग तकरीबन 57 साल पहले एक हलवाई ने किया था और उससे एक लाजवाब स्वाद बन गया. जिसके बाद से ही यह आम का कलाकंद अजमेर के स्वाद की शान बन गया और आज इसके दीवाने विदेशों तक है.
आज तीसरी पीढ़ी चला रही बिजनेस
अजमेर का मैंगो कलाकंद बनाने का श्रेय हलवाई पन्ना सिंह को जाता है. जिन्होंने तकरीबन 57 साल पहले यानी 1965 में अपनी एक छोटी सी दुकान से इसकी शुरुआत की थी. आज उनकी तीसरी पीढ़ी भी इस कारोबार से जुड़ी हुई है.
पन्ना सिंह के पोते और श्री लक्ष्मी स्वीट्स के मालिक बीनु भाई कहते हैं कि उनके दादा यानी पन्ना सिंह पहले दूध बेचने का काम करते थे लेकिन दूध कम बिकने के कारण उन्होंने मिठाईयां बनाना शुरु कर दिया. जिसमें पहले उन्होंने दूध को फाड़कर कलाकंद तैयार किया. लेकिन पन्ना सिंह एक बेहद खास मिठाई तैयार करना चाहते थे.
इसलिए कलाकंद पर ही कई प्रयोग किए लेकिन जब आम का सीजन शुरू हुआ तो उन्होंने सबसे मीठे और बेहतरीन के अल्फांसो आम मंगाये और उनकी एक मिठाई बनाई. उनका यह प्रयोग इतना सफल हुआ कि लोग इस स्वाद के दीवाने हो गए. चारों तरफ इसकी डिमांड बढ़ गई. जिसकी बाद कई हलवाईयों ने पन्ना सिंह से ही इसे बनाने का तरीका सिखा. आज उनके बेटे लक्ष्मण सिंह के बाद उनके पोते बीनू सिंह भी इसी कारोबार में उतरे हुए हैं.
10 करोड़ से ज्यादा का कारोबार :–
इस विषय में बीनू भाई कहते हैं कि मैंगो कलाकंद यूं तो साल भर तैयार होता है लेकर सीजन में इसकी डिमांड बेहद ज्यादा होती है. एक किलो मैंगो कलाकंद की बिक्री ₹500 प्रति किलो के हिसाब से होती है और रोजाना कम से कम 500 से 700 किलो बिक्री हो जाती है. एक अनुमान के अनुसार शहर भर में मैंगो कलाकंद का कारोबार 10 करोड़ रुपए तक का होता है.