राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से कोयले की मांग की है. इस विषय में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केंद्रीय बिजली मंत्री आर.के. सिंह से कहा है कि राजस्थान के पावर प्लांट के लिए छत्तीसगढ़ में आलोट दो कोयला खानों में जल्द खनन का काम शुरू करने के लिए वह दखल करें.
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में राजस्थान जिस कोयला खदान से कोयला सप्लाई ले रहा है उसमें सर्वे से पता चला है कि 15 अगस्त तक का कोयला ही उसमें शेष है. अब अगर दो नए ब्लॉक्स में खनन का काम जल्दी शुरू नहीं होता है तो राजस्थान में ब्लैक आउट के हालात बन सकते हैं. क्योंकि कोयला संकट तो काफी समय से जारी है ऐसे में यह संकट अगर जारी रहता है तो 4340 मेगावाट कैपेसिटी की बिजली पैदा करने वाले ऐसे प्लांट ठप हो जाएंगे.
जो केवल छत्तीसगढ़ की कोयला खदानों से आने वाले कोयले पर लिंक है और उन पर निर्भर है. इस विषय में मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा है कि केंद्र के समक्ष मांग उठा दी गई है. अब अगर कोयला नहीं मिला तो बिजली ठप होने से प्रदेश में ब्लैक आउट हो सकता है. केंद्र ने कहा है कि ऐसे हालात नहीं बनना चाहिए वह इसके लिए कोयला मंत्रालय में बात करेंगे.
सभी राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की. इस दौरान राजस्थान के मंत्री भंवर सिंह भाटी ने यह गंभीर मुद्दा उठाया है. जिसमें आरके सिंह ने कहा है कि वह कोल मंत्रालय से बात करके इस इशु का समाधान करवाने में मदद करेंगे.
क्या है कोयला संकट? मानसून के साथ ही साथ राजस्थान में बिजली घरों में कोयला संकट शुरू हो गया है. क्योंकि छत्तीसगढ़ से कोयले की सप्लाई बाधित होने लग गई है. प्रदेश के सभी पावर प्लांट में जरूरत से कम कोयला है. अब केंद्र की गाइडलाइन है कि राजस्थान में 26 दिन का स्टॉक मेंटेन होना चाहिए. वहीं पिछले साल से ही यह मेंटेन नहीं रहा है. बारिश में छत्तीसगढ़ की कोयला खदानों में पानी भरने पर और ट्रेनों में माल ढुलाई, प्रॉडक्शन और सप्लाई प्रभावित होकर बैठ जाते हैं. इस वजह से यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है.