जोधपुर: दुनिया की सबसे छोटी एथीलीट पूजा बिश्नोई, धोनी के साथ ऐड शूट, कोहली ने दी लाइफटाइम स्कॉलरशिप

‘सपने देखने और उन पर मेहनत करने की कोई उम्र नहीं होती’ इस बात को सच कर दिखाया है दुनिया की सबसे छोटी एथीलीट के रूप में मशहूर पूजा बिश्नोई ने, जिन्होंने बेहद कम अवस्था में वह सब का दिखाया जिसे हर कोई करने का नहीं सोच सकता.

आज पूजा बिश्नोई की मेहनत का ही नतीजा है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में दुनिया भर में अपना नाम किया है. आपको बता दें कि पूजा बिश्नोई ने 12 मिनट 50 सेकंड में 3 किलोमीटर दौड़ कर अपना नाम अंडर 10 वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया है इसके अलावा पूजा के नाम ऐसे कई रिकॉर्ड्स है.

आज उनकी मेहनत देखकर महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसे जाने-माने क्रिकेटर भी इतने खुश हुए कि उन्होंने खुद आगे होकर पूजा की मदद की. आज वह बेहद कम अवस्था में एक यंग फिटनेस मॉडल है और उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी और जसप्रीत बुमराह जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के साथ ऐड भी शूट किया है.

कहां से आया एथलीट बनने का जज्बा ?

आपको बता देंगी जोधपुर से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव गुड़ा विश्नोईयां में रहने वाले मीमा और अशोक बिश्नोई की बेटी पूजा बिश्नोई ने महज 3 साल की उम्र में ही एथलीट बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए थे.

पूजा बताती है कि उन्होंने 3 साल की अवस्था में पहली बार ग्राउंड देखा था. वह अपने मामा के साथ ग्राउंड पर गई थी जब उन्होंने देखा कि वहां कुछ बच्चे तैयारी कर रहे हैं. उसी वक्त उनके मामा ने पूजा को उन बच्चों के साथ रेस लगाने के लिए कहा तो पूजा ने रेस लगाई.

लेकिन वह हार गई उसके बाद मामा ने कहा कि कुछ दिन तक प्रैक्टिस करो उसके बाद फिर से कोशिश करेंगे. पूजा बताती है कि 1 महीने की ट्रेनिंग के बाद मैंने एक बार फिर उन बच्चों के साथ रेस लगाई और उन्हें हरा दिया. उसके बाद मेरे मामा को लगा कि मुझ में दौड़ने का जज्बा है अगर मुझे सही से ट्रेनिंग मिलती है तो मैं है यह काम अच्छे से कर सकती हूं.

दिन में 8 घंटे प्रैक्टिस

पूजा वर्तमान समय में राजमाता कृष्ण कुमारी गर्ल्स पब्लिक स्कूल जोधपुर में पढ़ती है. उनका कहना है कि स्कूल और प्रैक्टिस को एक साथ संभालना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यह करना पड़ता है. मैं सारी चीजें एक रूटीन में करती हूं सुबह 3:00 बजे से 7:00 बजे तक प्रैक्टिस करती हूं. फिर स्कूल जाती हूं. 1:00 बजे स्कूल से वापस आने के बाद 2 घंटे आराम करने पर फिर शाम के 4:00 से 8:00 बजे तक प्रैक्टिस करती हूं.

इस तरह में दिन में तकरीबन कुल 8 घंटे की प्रैक्टिस करती हूं. लेकिन हां, परीक्षा के समय थोड़ी मुश्किल होती है. लेकिन मेरे मामा कहते हैं कि एथलीट के तौर पर मुझे अपनी सब चीजों को मैनेज करना आना चाहिए.

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