जब भी राजस्थान का जिक्र होता है तो लोगों के जहन में चिलचिलाती गर्मी, तपती रेत और धोरों के बीच चलते हुए ऊंट उतर आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां इससे कहीं अलग है और यह कई स्थानों पर इतना सुंदर है मानो देखने वालों की आंखें ही ना भरे.
राजस्थान में यूं तो सैंकड़ों बेहतरीन जगह है लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी झील के बारे में जो मानव निर्मित है और मानव निर्मित कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. दरअसल हम चर्चा करने जा रहे हैं राजस्थान की ढेबर झील के बारे में जिसे जयसमंद झील के नाम से भी जाना जाता है.
खास बात यह है कि यह किसी प्राकृतिक तरीके से नहीं बनी हुई है बल्कि इसे इंसानो ने खुद बनाया है यह झील गोविंद बल्लभ पंत सागर के बाद दूसरी बड़ी कृत्रिम झील है. यह उदयपुर जिले में स्थित है और 87 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है.
बताया जाता है कि इस झील का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था. यह उदयपुर से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर स्थित है. खास बात यह है कि अपनी स्थापना के समय यह दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है. यह झील इतनी खूबसूरत है कि लोग इससे दूर दूर से आकर्षित होकर इसे देखने आते हैं.
झील में स्थित है तीन द्वीप
सबसे अहम बात यह है कि इस जेल में 10 से 40 एकड़ के 3 द्वीप स्थित है. इस झील में संगमरमर बांध बना हुआ है जो 984.3 फीट ऊंचा है और यह भारत की विरासत स्मारकों का एक हिस्सा है.
इस झील का मुख्य आकर्षण केंद्र हवा महल पैलेस भी है जो मेवाड़ के पहले महाराणों की शीतकालीन राजधानी के रूप में कार्य करता था. इस झील पर जो तीन द्वीप बने हुए हैं उनमें भील मिनस जनजाति जाती रहती है. दो बड़े द्वीपों को बाबा का मगरा कहा जाता है और तीसरे का नाम पियारी रखा गया है.
खास इतिहास
इस झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने 1685 में करवाया था. बताया जाता है कि इस झील को मेवाड़ के दक्षिणी पूर्वी कोने में खेती के लिए पानी की आपूर्ति हेतु बनाया गया था.इससे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा यह भी है कि इसके उद्घाटन के समय महाराणा जय सिंह ने अपने वजन के बराबर का सोना इसके लिए दान में दिया था. इसलिए इसे विजय का महासागर भी कहा जाता है.
आपको बता दें कि यह 14 किलोमीटर चौड़ी और 102 फीट गहरी है इसकी परिधि 48 किलोमीटर है. झील के चारों तरफ उदयपुर की रानियों के ग्रीष्मकालीन महल है आपको बता दें कि यह झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील के रूप में जानी जाती है.